प्रमोशन में अब फॉर गो खत्म

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अब प्रमोशन न लेना महंगा पडेगा राज्य में जारी हुई अधिसूचना

देहरादून एक्सक्लूसिव

मनमाफिक तैनाती के लिये अब प्रमोशन न लेने की प्रवृत्ति खत्म होने जा रही है। अधिसूचना को राज्यपाल की मंजूरी के साथ ही कार्मिक विभाग ने इसे जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही पोदन्नति का परित्याग करने की नियमावली भी जारी कर दी गई है। शासन ने इसे अनुशासनहीनता मानने के साथ ही ट्रांसफर से बचने की कोशिश का प्रयास माना है। फॉर गो का अनुरोध ज्येष्ठता यानी सीनियरिटी को प्रभावित करने जा रहा है। अब प्रमोशन से बचना आसान नही होगा

नियमावली पढिये

राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत श्रमिकों द्वारा पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जा सकेगी
(1) राज्याधीन सेवाओं में विभागीय पदोन्नति समिति की संस्कृति पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा पदोन्नति आदेश में कार्यभार ग्रहण करने हेतु अधिकतम पन्द्रह दिन की अवधि निर्धारित की जायेगी. किन्तु सम्बन्धित कार्मिक द्वारा कार्यभार ग्रहण करने हेतु लिखित अनुरोध पर अपरिहार्य परिस्थिति में नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा पन्द्रह दिन का अतिरिक्त समय दिया जा सकेगा;
(2) यदि किसी कार्मिक द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर पदोन्नति के पद पर कार्यभार ग्रहण न कर, लिखित रूप में पदोन्नति का परित्याग (Forgo) प्रथम बार किया जाता है तो नियुक्ति प्राधिकारी ऐसे प्रकरणों में गुण-दोष के आधार पर निर्णय ले सकेंगे:
(3) यदि उसी चयन वर्ष में पुनः विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक आहूत की जाती है तो नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उपनियम (2) के अनुसार लिये गये निर्णय से विभागीय पदोन्नति समिति को अवगत कराया जायेगा और पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने वाले कार्मिक से कनिष्ठ (पदोन्नति हेतु पात्र/उपयुक्त) कार्मिक की पदोन्नति की संस्कृति हेतु अनुरोध किया जा सकेगा:
परन्तु पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने वाला कार्मिक किसी नियम या शासनादेश में किसी बात के होते हुए भी कनिष्ठ की पदोन्नति की तिथि से नोशनल पदोन्नति का दावा नहीं कर सकेगा:
(4) यदि किसी कार्मिक के द्वारा विभागीय पदोन्नति प्रक्रिया प्रारम्भ होने से पूर्व ही सम्भावित चयन/पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने का लिखित अनुरोध किया जाता है तो ऐसा किया गयाअनुरोध अनुशासनहीनता माना जायेगा एवं उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा 18(2) के अन्तर्गत सम्भावित स्थानान्तरण से बचने का प्रयास तथा उसे कार्य के प्रति अभिरूचि न लेने आदि के आधार पर धारित पद पर ही उक्त अधिनियम की धारा 18(4) के अन्तर्गत प्रशासनिक आधार पर स्थानान्तरित किया जा सकेगा;
(5)
यदि किसी कार्मिक द्वारा उसे दी गयी पदोन्नति को द्वितीय बार परित्याग (Forgo) किये जाने का लिखित अनुरोध किया जाता है तो सम्बन्धित कार्मिक के अनुरोध पर नियुक्ति प्राधिकारी उप नियम (3) एवं (4) के अनुसार कार्यवाई कर सकेंगे:
(6) यदि किसी कार्मिक द्वारा दो से अधिक बार पदोन्नति का परित्याग (Forgo) किये जाने का लिखित अनुरोध किया जाता है तो उत्तराखंड सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली, 2002 अथवा अन्य किसी नियम/शासनादेश में किसी बात के होते हुए भी ऐसे कार्मिक पदोन्नति के पद पर अपनी ज्येष्ठता खो देंगे तथा खोई हुई ज्येष्ठता को
पुनः प्राप्त नहीं कर सकेंगे।
यह नियमावली राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत नियुक्त कार्मिकों की नियमित पदोन्नति के सम्बन्ध में लागू होगी।
इस नियमावली के उपबन्धों को लागू करने में शिथिलता बरते जाने पर उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 2002 तथा उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली. 2003 के उपबन्धों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित की जा सकेगी।