सिडकुल में जबर्दस्त अँधेरगर्दी हुई

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सिडकुल धोटाला जांच की खुलने लगी परत जमकर हुई मनमानी

देहरादून शासन के निर्देशों पर सिडकुल में हुई अनियमित्ताओं की जांच में जब आईजी अभिनव कुमार ने शिकंजा कसा तो कई चौंकाने वाले राज उजागर हुए है। क्या आप सोच सकते है निर्माण दाई एजेंसी से कंप्यूटर खरीद लिये जाए। निर्माण एजेंसी यूपीआरएनएन से कंप्यूटर खरीदकर जिम्मेदारो ने और भी सबको चौंका दिया। अफसरो ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सडक निर्माण का काम तक करा डाला। एमओयू आधे अधूरे मिले न ही किसी काम के समय पर पूरा न होने की दिशा में अफसरो ने ठोस एक्शन भी नही लिया।

जैसा नाम वैसा ही काम भी है आईजी अभिनव कुमार का। जिस एसआईटी घोटाले में जनवरी 2019 के बाद मीटिंग तक नही हो रही थी। उसी मामले मे एक माह के भीतर ही तीस फाइलों की जांच पूरी कर ली गई है। आईजी ने तय कर लिया है कि अगले वर्ष मार्च तक 300 के करीब मिली जांच की फाइलों की जांच पूरी करनी है। लिहाजा हर माह 30 फाइलों की जांच पूरा करने का काम भी दिखने लगा है। आज आईजी रेंज ने जांच टीम व अन्य अधिकारियों के साथ वर्चुअल मीटिंग की जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है। 10 करोड रूपये से अधिक लागत के काम अधिकारियो ने अपनी सीमा से बाहर जाकर दे दिये है। कई कामों की काम से संबंधित फाइलें जिसमें निर्माण संबंधी हिसाब होता है वो गायब है। निर्माणदाई संस्था को कंप्यूटर खरीदने व औघोगिक इलाके से इतर उधमसिंहनगर की एक ग्राम सभा में सडक निर्माण का काम देना और भी चौंकाने वाला है।सिडकुल में नियमविरूद्ध काम निर्माण एजेंसियों को तो दिये गये ही साथ ही समय समय पर इनकी मॉनिटरिंग भी नही हुई। अंघेरनगरी चौपट राज चला अभी तक की जांच के बाद आगे आने वाली जांचें और भी चौंकाने वाली होगी। आईजी अभिनव कुमार ने बताया कि इन जांचों को शासन को रेफऱ किया जा रहा है। ये सबसे पुरानी फाइलें वर्ष 2012 2013 के मामले है। शासन से मिलने वाले निर्देशों के क्रम में अगला एक्शन होगा्। इसका आशय ये है कि या तो शासन अपने स्तर से एक्शन लेगा। या फिर अलग अलग मामलो में अलग अलग मुकदमे दर्ज कराकर कानूनी कार्रवाई की जाए।

ये है पूरा मामला

वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक सिडकुल दारा उत्तराखंड के विभिन्न जिलो मे कराए गये निर्माण कार्यों मे मानकों की अनदेखी की गई थी। मानकों के विपरित टेंडर दिये जाने के साथ साथ जब आडिट हुआ तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। जिसमें घोर अनियमित्ता,सरकारी धन का दुरुपयोग,वेतन निर्धारण व अलग अलग पदों पर नियम विरूद्ध भर्तियाँ भी की गई। 29 जनवरी 2019 को मा्मले में एसआईटी का गठन करते हुये जांच के आदेश आईजी गढवाल को दिये गये थे।