राजस्थान में दून पुलिस की रे़ड

ख़बर शेयर करें

देहरादून डीआईजी दून अरूण मोहन जोशी के निर्देशों पर दून पुलिस की टीम को राजस्थान में बडी सफळता मिली है। सीधे सादे लोगों को ओएलक्स पर सामान बेचने की आड में ठगने वाले शातिर गिरोह के कारिेंदे राजस्थान अलवर से गिरफ्तार हुए है। नेहरू कॉलोनी थाने में दर्ज हुए मुकदमे की गंभीरता को देखते हुये डीआईजी ने साइबर सेल की खास टीम रेड के लिये तैयार की थी।

ऐसे हुई रेड की प्लानिंग

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लोगों के साथ साइबर ठगी करने वाले व्यक्तियों की गिरफ्तारी तथा आमजनमानस से हो रही इस प्रकार की ठगी को रोकने के लिये डीआईजी दून अरूण मोहन जोशी ने साइबर सेल प्रभारी नरेश राठौड़ के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन करते हुए उन्हें आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया। गठित टीम द्वारा थाना नेहरू कालोनी में पंजीकृत उक्त अभियोग में संलिप्त अभियुक्तों के मोबाइल नम्बरों तथा उनके द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे पेटीएम एकाउण्ट्स के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की गयी तो उक्त मोबाइल नम्बरों  तथा जिन नम्बरों पर पेटीएम एकाउण्ट्स बनाये गये थे, उनकी लोकेशन भरतपुर राजस्थान में होनी पायी गयी। जिस पर उ0नि0 नरेश राठौड़ के नेतृत्व में दिनांक: 05-09-2020 को एक टीम भरतपुर राजस्थान रवाना की गयी।  टीम द्वारा भरतपुर व उसके आस-पास के क्षेत्र में इस प्रकार के अपराधों में लिप्त रहे अपराधियों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करते हुए स्थानीय मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया। जिनके माध्यम से पुलिस टीम को जानकारी प्राप्त हुई कि अरबाज खान नामक एक व्यक्ति पूर्व से गैंग बनाकर इस प्रकार के कृत्यों में सलिंप्त रहा है तथा वर्तमान में भी इसी प्रकार के अपराधों को अंजाम दे रहा है। जिस पर पुलिस टीम द्वारा अरबाज खान के विषय में गोपनीय रूप से  जानकारी प्राप्त करते हुए उस पर लगातार सतर्क दृष्टि रखी गयी। इसी दौरान पुलिस टीम को अरबाज खान के साथ उक्त प्रकार के कृत्यों में संलिप्त अन्य तीन युवकों के विषय मे जानकारी प्राप्त हुई। जिस पर पुलिस टीम द्वारा आज दिनांक: 08-09-2020 को अरबाज खान को उसके अन्य 03 साथियों के साथ जनपद भरतपुर राजस्थान से गिरफ्तार किया गया। अभियुक्तों की तलाशी लेने पर उनके पास से आर्मी परसन के फर्जी आधार कार्ड, आई0डी0कार्ड, आधार कार्ड, आर्मी कार्ड व मोबाइल फोन बरामद हुए। अभियुक्तों से प्राप्त मोबाइलों को चैक करने पर उसमें फर्जी आई0डी0 से बने कई फेसबुक एकाउण्ट तथा पे0टी0एम0 एकाउण्टस, जो आर्मी परसन्स की आई0डी0पर बनाये गये थे,

*गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण

01: अरबाज खान पुत्र फजरूद्दीन निवासी: ग्रा0 पेरई, पो0 उचेडा, थाना जुरेडा, जिला भरतपुर राजस्थान। *(व्यवसाय: रिक्शा चालक का काम)*

02: तालीम खान पुत्र नजीर अहमद निवासी: ग्रा0 पेरई, पो0 उचेडा, थाना जुरेडा, जिला भरतपुर राजस्थान। उम्र लगभग: 20 वर्ष *(व्यवसाय: कार चालक का काम)*

03: अफरोज पुत्र हारून, निवासी: अनाज मण्डी के सामने थाना कामा, जिला भरतपुर राजस्थान । उम्र लगभग: 20 वर्ष *(व्यवसाय: कार मिस्त्री का काम)*

04: तालीम खान पुत्र जाकिर हुसैन, निवासी: अनाज मण्डी के सामने थाना कामा, जिला भरतपुर राजस्थान । उम्र: 21 वर्ष *(व्यवसाय: गाडी मैकेनिक का काम)*

समझिये कैसे होती है ओलएक्स के आड में ठगी रहिये सतर्क

पूछताछ के दौरान गिरोह के सरगना अरबाज खान द्वारा बताया गया कि, तालीम उसी के गांव का रहने वाला तथा अफरोज व तालीम खान पुत्र जाकिर हुसैन उसे बगल के गांव के रहने वाले है, वे बचपन से ही एक दूसरे को जानते हैं, उनके गांव व आस-पास के क्षेत्र के अधिकतर लोग इसी प्रकार के अपराधों में संलिप्त हैं। कुछ समय पूर्व उसकी तथा उसके साथियों की पहचान भरतपुर में ही रहने वाले नवाब नाम के एक व्यक्ति से हुई जिसके द्वारा उन्हें इस प्रकार के अपराधों को करने के सम्बन्ध में सारी जानकारी दी गयी, हम लोग ओ0एल0एक्स में आर्मी परसन के नाम से गाडी विक्रय करने के सम्बन्ध में एड डालते हैं, जिस क्षेत्र में हमे ठगी करनी होती है, हम उसी क्षेत्र की गाडी का नम्बर व उसी क्षेत्र अथवा उसके आस-पास के क्षेत्र से सम्बन्धित आर्मी परसन की आई0डी0 का इस्तेमाल करते हुए आर्मी परसन का स्मार्ट कार्ड व आई0डी0कार्ड व आर्मी ड्रेस की फोटो वाहन के साथ ओ0एल0एक्स पर अपलोड करते हैं। जिससे आम आदमी हमें आर्मी वाला समझ कर आसानी से हमारे झांसे में आ जाता है। फिर हम उससे एडवांस के रूप में पे0टी0एम0, गूगल पे अथवा एकाउण्ट के माध्यम से पैसा मंगवा लेते हैं। हम अधिकतर छोटे-छोटे एमाउण्ट के रूप में लोगों से पैसा अपने खातों में मंगाते हैं, जिससे कि उन्हे शक न हो और वह आसानी से उक्त पैसों को हमारे खातों मे डलवा सकें। पैसा हमारे खाते में आने के उपरान्त जब तक उक्त व्यक्तियों को इस बात का एहसास होता है कि उनके साथ ठगी हो गयी है तब तक हम लोग उन मोबाइल नम्बरों को स्विच आफ कर देते हैं। लोगों से ठगी गई धनराशि का इस्तेमाल हम इधर उधर घूमने तथा अपने शौक को पूरा करने के लिए करते हैं । अब तक हमने इसी तरह लगभग 300 व्यक्तियों के साथ ठगी की है।