पुलिस हेड कांस्टेबल प्रमोशन पर सवाल, मुख्यालय का इनकार

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देहरादून कॉन्स्टेबल पद पर पदोन्नत हुए कुछ कर्मचारियों ने प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। ये वे कर्मचारी हैं जिन्हें 10 साल पहले कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी बनाया गया था। कई कर्मचारियों पुलिस मुख्यालय को प्रत्यावेदन भेजकर वर्तमान प्रमोशन को समझ से परे बताया है। उन्होंने दोबारा से वरिष्ठïता निर्धारित करने की मांग की है।

दरअसल, गत नौ नवंबर को 221 कर्मचारियों के प्रमोशन की लिस्ट जारी की थी। इनमें कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी को हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नत किया गया था। इनमें कई ऐसे कर्मचारी भी हैं जिन्हें वर्ष 2010 में ज्येष्ठïता के आधार पर हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी पर प्रमोशन दिया गया था। तब इन्होंने एक माह का प्रशिक्षण और दो माह का व्यवहारिक प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। इसके बाद से ये सब हेड कांस्टेबल के दायित्वों का निर्धारण करते चले आ रहे थे।

कर्मचारियों ने पुलिस मु यालय को इस संबंध में पत्र लिखा है। उनका कहना है कि पदोन्नति के आदेशों से उन्हें मानसिक आघात पहुंचा है। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि यह उनका प्रमोशन हुआ है या फिर डिमोशन। जबकि, वे दस सालों से पुलिस रेग्युलेशन के अनुसार हेड कांस्टेबल के सारे काम कर रहे थे। अब इन कर्मचारियों ने दोबारा से वरिष्ठïता निर्धारित कर प्रमोशन लिस्ट जारी करने की मांग की है।

पहले ले लिया प्रशिक्षण तो अब क्यों?

आदेश जारी होने के बाद से ही सवाल उठने शुरू हो गए थे। लेकिन, पुलिस मु यालय ने कहा था कि पहले यह अस्थाई व्यवस्था थी, जिसे अब स्थाई करते हुए उन्हें हेड कांस्टेबल बना दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि दस साल पहले भी बाकायदा इसके लिए आदेश जारी किया गया था। इसके बाद एक नवंबर 2010 को इन्हें प्रमोशन मिला और फिर प्रशिक्षण दिया गया। ऐसे में अब फिर से इन कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिए जाने की बात कही जा रही है।

10 वर्ष की सेवा को नहीं गिना गया!

दस साल पहले हेड कांस्टेबल विशेष श्रेणी पद पर पदोन्नत हुए कर्मचारियों की 10 वर्ष की सेवा को ही दरकिनार कर दिया गया है। कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस तरह से उन्हें अगले प्रमोशन के लिए तैयार हो जाना था। लेकिन, नौ नवंबर का प्रमोशन का आदेश उनकी समझ से परे है। क्योंकि, उनकी 10 वर्ष की हेड कांस्टेबल की सेवा को ही दरकिनार कर दिया गया है।

पदोन्नति में सभी नियमों का पालन किया गया है। यदि फिर भी कोई इस तरह के प्रार्थनापत्र देता है तो इस पर विचार किया जाएगा। पहले भी कर्मचारियों को इस बारे में बता दिया गया है कि उनके साथ कुछ गलत नहीं हुआ है। – पुष्पक ज्योति, आईजी कार्मिक पुलिस मुख्यालय