उत्तराखंड कोविड की तीसरी लहर,बच्चो के स्वास्थ्य के मद्देनजर श्री महन्त इंद्रेश अस्पताल हुआ तैयार।

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कोरोना की तीसरी लहर को लेकर
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने तेज़ की तैयारियां
 बच्चों के लिए तीसरी लहर के सम्भावित खतरे को देखते हुए एहतियातन उठाए कदम
 सम्भावित कोरोना मरीजों के उपचार को लेकर बेड तैयार, आॅक्सीजन भण्डारण की क्षमता बढ़ाई, वार्डों व आईसीयू में बच्चों के उपचार अनुकूल व्यवस्था
देहरादून। कोरोना की सम्भावित तीसरी लहर के मद्देनज़र श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल प्रबन्धन ने एहतियातन तैयारियां तेज़ कर दी हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ अक्टूबर 2021 में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। इस आशंका को देखते हुए अस्पताल प्रबन्धन ने विशेष रूप से बच्चों व बेहद छोटे बच्चों के लिए 55 कोविड पाॅजीटिव बच्चों के आॅक्सीजन बैड, 35 हाई फ्लो कोविड पाॅजीटिव बच्चों के आक्सीजन बैड, बाइपैप सहित व 10 आईसीयू बैड तैयार कर दिए हैं। संदिग्ध कोविड उपचार के लिए बच्चों का अलग वार्ड तैयार है। अस्पताल के शिशु रोग विभाग की ओर से तैयार प्लान के अनुसार अस्पताल में वर्तमान में शिशुओं के लिए उपलब्ध 90 बैड्स की संख्या को बढ़ाने पर काम कर रहा है, बच्चों के उपचार के लिए शिशु एवम् बाल रोग विशेषज्ञ आवश्यक प्लान तैयार करने में जुटे हैं।यह जानकारी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ अनिल कुमार धवन ने दी।
कोरोना की दूसरी लहर के परिणामों व परिस्थितियों को देखते हुए अभी से ही श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने तीसरी लहर के लिए मास्टर प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है। श्री महंत इन्दिेरश अस्पताल के शिशु रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डाॅ.) उत्कर्ष शर्मा ने जानकारी दी कि कोविड पाॅजिटिव बच्चों के मामलों में बढ़ोत्तरी होने की दशा में अस्पतालों को बेसिक दिशा निर्देश बदलने पडेंगे। कोविड बच्चों के उपचार के मद्देनज़र सरकार व लोकल प्रशासन को नियमों व गाइडलाइन में आवश्यक संशोधन करने पड़ सकते हैं। बच्चों को भर्ती किये जाने के दौरान परिवार के एक व्यक्ति को ही देखभाल के लिए साथ में रहना होगा। अस्पताल में भर्ती बच्चों की संख्या के सापेक्ष एक परिजन भी अस्पताल में ठहरना होगा। बच्चे के भर्ती रहने के दौरान एक ही अभिभावक भर्ती से डिस्चार्ज तक साथ में रह सकता है। उस अभिभावक के अस्पताल में ठहरने व भोजन की उचित व्यवस्था को भी गाइडलाइन में शामिल करना होगा। ऐसा कर संक्रमण को फैलने से बचाया जा सकता है। यदि परिवार के कई सदस्य घर से अस्पताल व अस्पताल से घर जाते हैं तो संक्रमण समाज में फैलने का खतरा रहेगा।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की तैयारियां:
1 बच्चो को एम्बुलेंस से ट्रांसपोर्ट किये जाने के लिए एक एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम एम्बुलेंस बच्चों के लिए उपयुक्त दवाओं व उपकरणों के साथ उपलब्ध रखी गई है। यह एम्बुलेंस बच्चों को हर सम्भव लाइफ सपोर्ट देने वाले उपकरणों से लैस है।
2 बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ एक एम्बुलेंस बच्चों के लिए उपयुक्त दवाओं व उपकरणों के साथ रखी गई है।
3 अस्पताल के द्वारा 20,000 किलोग्राम क्षमता का आॅक्सीजन टैंकर अस्पताल मेँ मंगवा लिया है, कोरोना की तीसरी लहर में मरीजों को आॅक्सीजन की बेहतर आपूर्ति दिए जाने के उद्देश्य से इसे अस्पताल का बेहतर निर्णय माना जा रहा है।
4 बच्चों के आईसीयू (एन.आई.सी.यू. व पी.आई.सी.यू.) में आवश्यक उपरकण व प्रणांलियांे को इंस्टाॅल किया जा रहा है।

 श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में छाती एवम् श्वास रोग विभाग, मेडिसिन विभाग, एनेस्थीसिया विभाग सहित डाॅक्टरों, नर्सिंग व सहायक स्टाफ की बड़ी टीम उपलब्ध
 आॅक्सीजन व आईसीयू बैड की पर्याप्त संख्या व सुविधा
 यही कारण रहा कि कोविड-19 की पहली व दूसरी लहर में अस्पताल में मृत्यु दर बहुत कम रही
 आयुष्मान योजना के अन्तर्गत कार्ड धारक लाभार्थियों ने उठाया लाभ, प्राईवेट अस्पतालों में श्री महंत इन्दिरेश अस्पतला सरकार का सबसे बड़ा प्राईवेट पार्टनर

डाॅ उत्कर्ष शर्मा)
विभागाध्यक्ष, शिशु एवम् बाल रोग विभाग
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल
“किसी भी बीमारी का संक्रमण वायरस की मारक क्षमता, होस्ट की रोग प्रतिरोधक क्षमता व वातावरण के व्यवहार पर निर्भर करता है। यह तीन बिन्दु संक्रमण के प्रवाह को फैलाने या न फैलाने के मुख्य कारक होते हैं। इस सम्भावना को अगर वैज्ञानिक कसौटी पर परखें तो इन तीन कारणों में से दो कारण क्रमशः बच्चों (होस्ट) में रोग प्रतिरोधक क्षमता का अभाव होना जो कि वर्तमान परिस्थिति में देखने को मिला है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि बच्चों को वैक्सीन का न मिलना है और न ही प्राकृतिक रूप से संक्रमण का होना। ये परिस्थितियां ऐसे बच्चों को संक्रमण के लिए ससेप्टबल बना देती हैं। कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में उतपरिवर्तित वायरस की मारक क्षमता ज्यादा घातक रही है। इन बिन्दुओं के आधार पर कोरोना की तीसरी सम्भावित लहर को बच्चों के लिए अधिक संवदेनशील माना जा रहा है।

(डाॅ उत्कर्ष शर्मा)
विभागाध्यक्ष, शिशु एवम् बाल रोग विभाग
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल