उत्तराखंड भाजपा में बागियों की चुनाव से पहले वापसी की तैयारी

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देहरादून भाजपा राष्ट्रीय अध्य्क्ष जेपी नड्डा के दौरे से जुड़ी सबसे बड़ी खबर पार्टी छोड़कर जा चुके बाग़ियों की वापसी की तैयारी

देहरादून। आज उत्तराखंड आ रहे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मिशन 2022 के लिए हिंदुत्व व सेना के एजेंडे के अलावा सात प्रमुख मुद्दों की पड़ताल करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सभी जिलाध्यक्षों को पूर्व में हुए विभिन्न चुनावों के बागियों को वापसी का अधिकार देने जा रही है।  इन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा होगी

चुनाव में सांगठनिक तैयारी क्या है?

सबसे पहले नड्डा विधानसभा चुनाव में पार्टी के सांगठनिक चुनाव की तैयारी की नब्ज टटोलेंगे नड्डा के आने से पहले पार्टी ने अपने 11 हजार से अधिक बूथ कमेटियों के सत्यापन का अभियान शुरू किया है। हर बूथ मजबूत बनाने के लिए पार्टी की पन्ना प्रमुख बनाने की योजना है। पार्टी ने हर बूथ पर 51 प्रतिशत वोट बैंक का लक्ष्य रखा है।

चिंतन बैठक के रोडमैप का हिसायन

नड्डा रामनगर में हुई चिंतन बैठक में पास हुए चुनावी रोडमैप की प्रगति का हिसाब लेंगे। रोडमैप पर पार्टी की गतिविधियां और कार्यक्रम जारी हैं।

 सीएम बदलने का नफा-नुकसान

नड्डा कोर ग्रुप के साथ सरकार के कामकाज को पड़ताल करेंगे। पार्टी के कोर ग्रुप के साथ वह बार-बार सीएम बदलने के सियासी नफे-नुकसान का भी आकलन करेंगे। वह मंत्री विधायकों से पिछले साढ़े चार सालकी उस प्रमुख उपलब्धि का ब्योरा लेंगे जो चुनाव में वोटरों के रिझाने में मदद कर सकती है।

 संगठन की ताकत और कमजोरी

नड्डा संगठन की ताकत और कमजोरी पर फोकस करेंगे। जानकारों का मानना है कि 1 जिस सांगठनिक नेटवर्क को पार्टी सबसे बड़ी ताकत मान रही है, उसी नेटवर्क से जुड़ी हजारों कार्यकर्ताओं की फौज को नियंत्रित रखना सबसे बड़ी चुनौती है। जेपी नड्डा कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने के लिए संगठन के कार्यक्रमों की रिपोर्ट ले सकते हैं।

कोरोना, संगठन और भावी रणनीति

नड्डा कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच संगठन ही सेवा का कार्यक्रम की भावी रणनीति की भी पड़ताल कर सकते हैं। पार्टी ने हर बूथ पर दो स्वास्थ्य स्वयंसेवक बनाए हैं जिन्हें कोरोना से प्रभावित लोगों को सहयोग, मार्गदर्शन और जागरूक करने का जिम्मा सौंपा गया है।

सत्तारोधी रुझान से बचने का इंतजाम

नड्डा कोविड, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, विकास, देवस्थानम बोर्ड, भू कानून, जनसंख्या कानून, महंगाई, किसान आंदोलन, बेलगाम नौकरशाही सरीखे मुद्दों पर अन्य दलों की सक्रियता का आकलन करेंगे। वह मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से सत्तारोधी रुझान से बचने के इंतजाम के बारे में जानकारी लेंगे।