टनल रेस्क्यू आखिर क्यों सीएम धामी है फ्रंट फूट वारियर समझिए

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पुष्कर धामी : “The Man Leading From Front”

दीवाली के दिन जब मुख्यमंत्री जी को सूचना मिलती है कि सिलक्यारा में सुरंग हादसा हो गया है…वो तुरंत अंदाज़ा लगा लेते हैं कि घटना बड़ी है और रात से ही अपने अधिकारियों के साथ मिशन पर लग जाते हैं।

मुख्यमंत्री जी अगली भोर ही पीएमओ से लेकर तमाम मंत्रालयों से संपर्क साधते हैं। चुनावों में व्यस्तता के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी जी इस घटना को गंभीरता से लेते हैं और पीएमओ को इस घटना को टॉप मोस्ट प्रायोरिटी पर लेने को कहते हैं।

सिलक्यारा टनल की घटना का जायज़ा लेने जब मुख्यमंत्री धामी मौके पर पहुँचकर परिस्थितियों का जायज़ा लेते हैं, तो थोड़ा चिंतित होते हैं। उन्हें स्पष्ट आभास होता है कि मौके पर हौसलाअफजाई और बेहतर कोआर्डिनेशन की आवश्यकता सबसे ज़्यादा है। और उत्तरकाशी से देहरादून लौटते-लौटते वे मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों को निर्देशित करते हैं कि सिलक्यारा टनल के पास ही अस्थायी मुख्यमंत्री कार्यालय तत्काल बना लिया जाय।

कई लोगों की राय थी कि देहरादून से ही राहत कार्य को मॉनिटर किया जा सकता है, किन्तु संघर्षों से तपे व कठिनाइयों से पार पाकर यहां तक पहुँचे मुख्यमंत्री धामी जानते थे कि परिस्थिति उनसे क्या माँग रही हैं। वे अपने निर्णय पर अडिग रहे।

एक हफ्ते से भी अधिक समय से उत्तराखंड सरकार सिलक्यारा टनल के नज़दीक बने अस्थायी मुख्यमंत्री कार्यालय से चलती रही।
इस बीच रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़े उतार-चढ़ाव आये, कई बार राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स की ज़रूरत महसूस की गई। प्रधानमंत्री मोदी जो कि दिन में चार-पांच बार मुख्यमंत्री धामी से संपर्क में रहते थे, हर ज़रूरत पर साथ खड़े थे।

दीवाली के बाद ईगास त्यौहार आया, ऐसा लगा कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जायेगा किन्तु उम्मीदों की राह बनाती मशीन फेल हो गयी।
मिशन पर लगी टीम की को एक सच्चे लीडर की तरह हौसला बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ‘हमें डटे रहना है, सफल होना है…और ईगास का त्यौहार इन श्रमिकों की सकुशल वापसी के बाद ही मनाना है।’

हादसे के सत्रहवें दिन 28 नवम्बर को वो शुभ सूचना आयी जिसका पूरा देश इंतज़ार कर रहा था। सभी 41 श्रमिक सकुशल बाहर निकाल लिये गए।
एक-एक श्रमिक के टनल से बाहर निकलने मुख्यमंत्री ने पूरी आत्मीयता के साथ उन्हें गले लगाया, उनका स्वागत किया, उनके परिजनों का हालचाल लिया और देर रात तक प्राथमिक स्वास्थ्य जाँच से लेकर रहने-खाने की व्यवस्थाओं का जायज़ा लेते रहे।

सिलक्यारा टनल रेस्क्यू भारत के इतिहास का संभवतः सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन था और इस सबसे बड़े बचाव अभियान को मोर्चे पर मौजूद रहकर लीड कर रहे थे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।