अंग्रेज़ो के जमाने की बिल्डिंग अब रह जायेगी इतिहास के पन्नो में शेष।

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कॉलेक्ट्रेट स्थित पुरानी इमारत

देहरादून कलेक्ट्रेट की जर्जर बिल्डिंग डिमॉलिश कर बनाई जाएगी ग्रीन बिल्डिंगके कलेक्ट्रेट नये रंग-रूप में सजने की तैयारी कर रहा है. यदि सब कुछ ठीक ठाक नहीं तो इस परिसर में पुरानी जर्जर बिल्डिंग्स की जगह हर तरह की सुविधाओं वाली बहुमंजिला ग्रीन बिल्डिंग नजर आएगी. हालांकि इसके लिए इस परिसर में मौजूद कई बिल्डिंग्स तोड़ी जाएंगी. इनमें कुछ अंग्रेजों के जमाने की बिल्डिंस शामिल हैं. खास बात यह है कि यह दून का सबसे पुराना ऑफिशियल हब है.

एसपी सिटी आफिस


100 साल से भी ज्यादा पुरानी स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों के अनुसार बिल्डिंग के डिजाइन में अंतिम रूप दिया जा रहा है. करीब आधा दर्जन पुरानी बिल्डिंग्स तोड़ने की योजना बनाई गई है. इनमें ज्यादातर वे बिल्डिंग्स काफी पुरानी और जर्जर हालत में हैं. कुछ बिल्डिंग्स तो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं.
बच जाएगा शहीद स्थल
कलेक्ट्रेट परिसर में 1994 के उत्तराखंड आंदोलन में शहीद आंदोलनकारियों की याद में शहीद स्थल भी बनाया गया है. लेकिन, आम लोगों की भावनाओं को देखते हुए अब इसे इसी रूप में बनाये रखने का फैसला किया गया है,
कलेक्ट्रेट परिसर में ग्रीन बिल्डिंग बनाने की है तैयार
डीएससीएल बोर्ड के मजूरी के बाद सीपीडब्ल्यूडी को मिलेगी जिम्मेदारी

इतिहास पर एक नजर
वर्ष 1815 में अंग्रेजों ने पूरे गदवाल के
साथ दून पर भी कहजा किया, गोरखा सेना से लड़ने के लिए अंग्रेज सेना ने परेड ग्राउंड में डेरा डाला
अधिकारियों के लिए मौजूदा कलेक्ट्रेट परिसर वाली जमीन पर व्यवस्था की गई. सिविल कर्मचारियों और अन्य लोगों को परेड ग्राउंड और कलेक्ट्रेट के बीच बसाया गया.इसे फालतू लाइन बनाया गया.
शुरू में कलेक्ट्रेट परिसर में टेट और कच्चे निर्माण किये गये.
. बाद में अलग-अलग समय पर अंग्रेजों ने कलेक्ट्रेट में थिल्डिग्स बनवाई.
कौन बिल्डिंग किस साल में बनी, इसकी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है. पानी के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में कुआं
खोदा गया, कुआं अब भी वहां मौजूद है. इसी कुएं से फालतू लाइन के सिविल सिटीजंस और परेड ग्राउंड में फौज के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाता था.
सीएनआई स्कूल भी इसी का हिस्सा अंतिम फैसला
15 को बोर्ड बैठक में
अंग्रेजो के दौर में सीएनएन कलेक्ट्रेट परिसर में पुरानी स्कूल भी कलेक्ट्रेट परिसर बिल्डिग्स तोड़कर नई ग्रन का ही हिस्सा था. बाद में उसे बिल्डिंग बनाने का अतिम फैसला इस परिसर से अलग किया 15 फरवरी को लिये जाने की गया. पानी की व्यवस्था न संभावना है.शासन की ओर भी खोदा गया था, जिसका जा चुकी है.अब स्मार्ट सिटी वास्तुशिल्प बेजोड़ है. इस एडवाइजरी बोर्ड की मंजूरी कुए के अवशेष अब भी मिलनी बाकी है. इसके लिए कलेक्ट्रेट परिसर के एमकेपी वेडनसडे को बोर्ड की मीटिंग होनी कॉलेज की तरफ वाले हिस्से थी, लेकिन अब 15 फरवरी को में देखे जा सकते हैं. मीटिंग की डेट तय की गई है.
होने के कारण यहां एक कुओं से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी
कलेक्ट्रेट परिसर में ग्रीन बिल्डिंग बनाने को एडवाइजरी बोर्ड की मीटिंग में अंतिम फैसला लिया जाना है. डिजाइन तैयार हो गया है. कुछ पुरानी बिल्हिग्स तोड़ी जानी है. बोर्ड मीटिंग के
बाद सीपीडब्ल्यूडी को कंस्ट्रक्शन का काम सौंपा जाएगा. विनीत, ईई डीएससीएल