देहरादून रिटायरमेंट के बाद भी नौकरी की प्रथा अब राज्य में खत्म होने जा रही है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की मंजूरी के बाद मुख्य सचिव ने आदेश जारी कर दिये है। राज्य में अभी तक हालात ये थे कि रिटायरमेंट से पहले ही नई कुर्सी का रास्ता जिम्मेदार तलाश लेते थे। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बडा चार पन्नों का विधिवत आदेश जारी कर दिया है।
अब किसी विभाग में यदि कोई रिटायर कर्मचारी दोबारा तैनाती लेता है तो विभाग प्रमाण पत्र देगा कि रिटायर कर्मचारी के पद पर विभाग में कोई काम नहीं कर सकता है। आप पढकर भले ही ये नियम चौंक जायें लेकिन यही नियम अब मील का पत्थर बनने जा रहा है। जिसके आधार पर अब राज्य में रिटायर हो चुके कर्मी की पुन तैनाती आसान नही होगी। यदि कोई रिटायर कर्मचारी तैनाती की मांग करता है तो उसे संबंधित विभाग से ये प्रमाण पत्र मिलना बेहद कठिन है।ऐसा इसलिये भी होगा क्योंकि संबंधित विभाग ये कतई लिखकर नही देगा कि रिटायर व्यक्ति जो दोबारा नौकरी के लिये आवेदन करना चाह रहा है वो कार्य कोई और नही कर सकता है। मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेशों में कहा गया है कि विभागों में नियमित चयन की प्रक्रिया के बाद भी पुनर्नियुक्ति के प्रस्ताव आ जाते है।मुख्य सचिव के आदेशों में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोबोरा तैनाती पाए कार्मिकों से वित्तीय भार पड़ना भी तय है। विभागों के विभागाध्यक्ष,अपर विभागाध्यक्ष के पद पूर्णतः भरे हो उन विभाग मे पुनर्नियुक्ति किसी भी दशा में नहीं होगी। आदेश में कहा गया है कि जिन विभाग में विशिष्ट कार्यों के लिये खास कार्यों के लिये एक्सपर्ट नियुक्त किये भी गये है।,ऐसे कार्मिकों से विभाग दूसरे कार्मिकों को 6 माह में प्रशिक्षित करा ले जिससे भविष्य में विभागीय कर्मचारी ही वो काम कर सके। आदेश साफ तौर पर सरकार की मंशा का साफ करता है कि वो रिइंप्लायमेंट नही चाहती है। मुख्य सचिव के आदेशों का सख्ती से पालन हो तो अन्य जरूरतमंदों के लिये रोजगार के अवसर भी तैयार हो सकेंगें।