वन डे बार लाइसेंस मानवीय चूक या मशीनी त्रुटि।

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देहरादून राजधानी के राजपुर रोड स्थित एक रेंस्टोरेंट को वन डे बार लाइसेंस जारी होने का मामला सुर्खियो में है। वन डे लाइसेंस रेस्टोरेंट को जारी करने पर मौजूदा आबकारी नीति के मुताबिक बैन है बावजूद इसके लाइसेंस जारी होने पर सवाल खडे हो रहे है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक किसी भी सेक्टर से रिपोर्ट लगने के बजाए सिस्टम व आईटी में मौजूदा व्यवस्था के तहत ये आटो जनरेट हुआ है।

राजधानी में बीते शनिवार के लिये एक ऐसा वन डे बार लाइसेंस 8 तारीख को जारी हो गया था जिसे जारी नही होना चाहिये थे। आबकारी महकमा कहने को तो आईटी में बहुत एक्सपर्ट है लेकिन कुछ साफ्टवेयर की कमी व व्यवस्था इस पर भारी पडी है। जानकारी के मुताबिक आवेदन में कुछ कमी जानबूझकर हुई तो आवेदन के तीन घंटे के अंदर ही ये लाइसेंस आवेदनकर्ता को जारी हो गया। ज्बकि जाखन क्षेत्र यानी मसूरी सर्किल में सेक्टर 1 के स्तर पर लगाई गई रिपोर्ट की पुष्टि नही हुई है। अब विभाग में इस मामले के सामने आने के बाद कई सवाल भी खडे हो रहे है कि क्या कोई दबाव था या फिर एक चूक के चलते आवेदनकर्ता ने गलत तरीके से लाइसेंस हासिल कर लिया। सूत्रों की मानें तो आवेदनकर्ता के इस लाइसेंस के मिल जाने के बाद पार्टी आयोजित की इसमें जांच के लिये पुलिस व आबकारी महकमे की भी टीम पंहुची थी। जिलाधिकारी ने मामले का संज्ञान लेते हुये रिपोर्ट भी तलब कर ली है।लेकिन आईटी सेक्शन में ये स्पष्ट हो गया है कि सेक्टर से रिपोर्ट नही दाखिल की गई है। अगर ये चूक है तो आबकारी महकमे के आईटी सेक्शन में बडे सुधार की जरूरत है यदि मामला कुछ और है तो जांच की भी जरूरत है।

वन डे लाइसेंस से गुरेज क्यों

राज्य की मौजूदा आबकारी नीति में वन डे बार लाइसेंस पर इस आशय से रोक लगा दी गई थी कि बार लाइसेंस जिलाधिकारी स्तर से जिला स्तर से मिल सकेंगें जिसकी प्रक्रिया भी आसान होगी। हलांकि पुलिस प्रशासन के पचडे में प्रक्रिया जटिल हो चुकी है। बीते वर्ष विभाग ने लाखों रूपये का राजस्व वन डे की फीस फीस से कमाया है।

इंस्पेक्टर क्या करें

मौजूदा समय में आबकारी महकमे में आबकारी इंस्पेक्टर असहाय स्थिति में है कहने को तो उन्हे लॉगिन आईडी मिल चुका है लेकिन ये सुनकर हैरानी होती है कि सभी के पासवर्ड एक समान है। इतना ही इंस्पेक्टरों के पास अलग से कंप्यूटर या अन्य उपकरण भी नही है जिससे इंस्पेक्टर समय समय पर लॉगिन देख सकें फिर तीन घंटे के भीतर रिपोर्ट लगाने की बाध्यता भी कठिन साबित हो रही है।