राष्ट्रीय वन्य जीव विहार,जलाशय में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निर्देश हुए जारी

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देहरादून प्रमुख सचिव वन आर के सुधांशु के आदेशों से ये नियम जारी हुई है

1. एंगलिंग गतिविधियां केवल चिन्हित संरक्षित वनों (Protected Forest Under IFA, 1927 ) एवं आरक्षित वनों (Reserved Forest Under IFA, 1927) में ही अनुमन्य होगी। Angling की अनुमति नहीं दी जायेगी
2. संरक्षित क्षेत्रों (Protect Areas) एवं (Tiger Reserves) में 3. एंगलिंग की अवधि 15 सितम्बर से 31 मई तक होगी।
4. प्रभागीय वनाधिकारी अपने अधिकार के आरक्षित वन क्षेत्र में एंगलिंग परमिट जारी करने या ऐसी अनुमति को निरस्त करने हेतु प्राधिकृत होंगे ।
5. एंगलिंग अनुमति केवल कैच एण्ड रिलीज आधार पर दी जायेगी 6. एंगलिंग की अनुमति सूर्योदय एवं सूर्यास्त के मध्य अनुमन्य होगी।
7. एंगलिंग हेतु प्रत्येक परमिट पर मछली पकड़ने के पूल तक केवल एंगलर, उसके गिल्ली एवं गाईड को प्रवेश की अनुमति होगी। इसके अतिरिक्त यदि एंगलर के साथ अन्य व्यक्ति पूल तक प्रवेश करते हैं तो इसके लिये प्रति अतिरिक्त व्यक्ति पृथक से शुल्क का अग्रिम भुगतान किया जाना अपेक्षित होगा।
8. निर्धारित शुल्क के भुगतान के उपरान्त निर्गत किया गया परमिट व्यक्तिगत एवं गैर-हस्तान्तरणीय है और यह केवल परमिट में उल्लिखित अवधि के लिये मान्य होगा। शुल्क प्रति रॉड, प्रति दिन के अनुसार होगा।
9. एंगलर व उसके गिल्लियों से यह अपेक्षित होगा कि वे वन क्षेत्र में पूर्णतः शान्ति बनाये रखे। यह सुनिश्चित किया जाये कि वे न्यूनतम आवाजाही, उचित पोशाक, उचित आवरण का प्रयोग करें एवं उनके द्वारा वन, वन्यजन्तु व पर्यावरण को किसी भी प्रकार से हानि न पहुँचायी जाये। 10. कैच को सदैव Wet sack slings में सम्भाला जाये, जिसे उपयोग करने से पूर्व सही से साफ किया
गया हो एवं मछलियों को बिना नुकसान या झटके के यथाशीघ्र पानी में वापिस डाल दिया जाये 11. एंगलिंग केवल परमिट में उल्लिखित निर्धारित मछली बीट में ही अनुमन्य होगी । 12. प्रत्येक व्यक्ति जिन्हें परमिट दिया गया है, किसी वनाधिकारी के निरीक्षण के समय परमिट को
वनाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
13. प्रभागीय वनाधिकारी बिना किसी कारण बताये, किसी भी समय परमिट को रद्द कर सकते हैं और ऐसी स्थिति में परमिट धारक को तुरन्त वन क्षेत्र को छोड़ना होगा ।
14. कोई भी व्यक्ति रॉड (त्वक) एवं लाईन के अतिरिक्त किसी अन्य पद्धति से मछली नहीं पकड़ेगा । 15. जिस किसी व्यक्ति को यह परमिट दिया गया है, वह भारतीय वन अधिनियम, 1927 वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 या इस हेतु बनाये गये किसी भी नियम / शर्तो के किसी भी प्रकार के उल्लंघन के लिये व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होगा। उक्तानुसार किसी भी उल्लंघन की दशा में, उक्त परमिट को जब्त करने के साथ ही ऐसे नियमों एवंअधिनियमों के अन्तर्गत परमिट धारी दण्ड के लिये उत्तरदायी होगा। परमिट धारक का यह भी कर्तव्य होगा कि वह उपरोक्त किसी भी अधिनियम के किसी भी प्रकार के उल्लंघन की सूचना नजदीकी वन कार्यालय को दें। 16. परमिट धारक मछली पकड़ने के दैरान किसी भी दुर्घटना या अन्य प्रकार की क्षति आदि के लिये
स्वयं उत्तरदायी होगा। 17. एंगलिंग के लिये आवश्यकतानुसार भविष्य में उपरोक्त के अतिरिक्त कोई अन्य शर्त भी लगायी जा सकती हैं।
18. प्रत्येक परमिट, ‘प्रति व्यक्ति, प्रति रॉड’ के आधार पर दिया जायेगा और उन शर्तो के अधीन होगा जैसा कि निर्धारित हों। किसी भी शुल्क की वापसी नहीं की जायेगी।
19. एंगलिंग हेतु आवेदन एवं अनुमति की प्रक्रिया केवल ऑनलाइन माध्यम से सम्पादित की जायेगी आकस्मिक आवश्यकतानुसार इस हेतु अनुमति सम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारी अथवा वन क्षेत्राधिकारी के कार्यालय से ऑफलाईन परमिट भी निर्गत किये जा सकेंगे, परन्तु इस हेतु अतिरिक्त शुल्क देय होगा।
20. उक्त शर्तों के साथ निर्धारित एंगलिंग परमिट फार्म में वर्तमान में प्रचलित शासनादेश प्रख्यापित निर्धारित दरों रू0 750 /- प्रति रॉड / प्रति दिन के आधार पर आवेदकों को परमिट एंगलर, उसके गिल्ली एव गाईड हेतु जारी किये जायेंगे। प्रति अतिरिक्त व्यक्ति रू0 200 /- प्रति दिन की दर से शुल्क अग्रिम में देय होगा। ऑफलाईन जारी किये गये प्रत्येक परमिट हेतु रू0 250 /- प्रति परमिट अतिरिक्त शुल्क देय होगा ।
21. मुख्य वन संरक्षक, कुमाऊँ एवं गढ़वाल द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में एंगलिंग बीट प्रत्येक लगभग 1 कि०मी० की नदी की लम्बाई के अनुसार तथा जलाशयों में इसी प्रकार उपयुक्त स्थल चिन्हित कर उनकी क्रमवार, प्रभागवार, रेंजवार सूची शासन को 15 दिनों में उपलब्ध कराते हुये विवरण कं विभागीय वेबसाईट में भी अंकित करेंगे, जिससे एंगलिंग करने के इच्छुक व्यक्तियों को इसर्क समुचित जानकारी प्राप्त हो सके।
22. प्रत्येक स्थल हेतु एक विशिष्ट नाम एवं कोड अंकित किया जायेगा, जिससे उन्हें स्पष्ट रूप से चिन्हित किया जा सके।
23. एंगलिंग हेतु चयनित क्षेत्रों के स्थानीय व्यक्तियों हेतु गाईड एवं गिल्ली के प्रशिक्षण हेतु विशेष कार्यक्रम वन विभाग द्वारा संचालित किये जायेंगे