17 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट।

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विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को सुबह 5 बजे भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में आचार्य, वेदपाठी और हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में महाशिवरात्रि पर्व पर यह शुभ मुहूर्त निकाला गया। परम्परा के अनुसार महाशिवरात्रि के मौके पर हर साल पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भगवान केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का दिन निकाला जाता है। इसी परम्परा के चलते गुरुवार सुबह मंदिर में पूजा अर्चना के बाद पंचाग पूजा की गई। कपाट खाेलने के लिए ऊखीमठ में भगवान भैरवनाथ की पूजा 13 मई को होगी। बाबा केदार की चल विग्रह डोली पहले ऊखीमठ से प्रस्थान कर 14 मई को फाटा विश्राम के लिए पहुंचेगी। जबकि 15 मई को  को गौरीकुंड और 16 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी, जहां 17 मई को सुबह पांच बजे भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे।वहीं मंदिर में हवन यज्ञ, भजन कीर्तन और स्कूली बच्चों द्वारा धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। बाद में भंडारे का आयोजन किया गया।

वहीं, उत्तराखंड के चारों धामों में से बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख तय हो चुकी है। चमोली जिले स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। धाम के कपाट विधि-विधान के साथ प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खोले जाएंगे। बता दें कि बसंत पंचमी के अवसर पर नरेन्द्रनगर राजदरवार में आयोजित समारोह में बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई है। जबकि, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर वर्ष अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं। गौरतलब है कि चारधाम यात्रा पर विगत साल कोरोना का बड़ा असर पड़ा। सभी धामों में पहुंचने वाले कुल श्रद्धालुओं की संख्या 4.48 लाख रही। जबकि यही संख्या पिछली बार रिकॉर्ड 34.10 लाख रही। यही स्थिति धामों की कमाई की भी रही। सालाना 55 करोड़ की कमाई इस बार आठ करोड़ पर सिमट गई है।

धामों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की कम संख्या की स्थिति ये रही कि यमुनोत्री धाम में तो आंकड़ा दस हजार के पास भी नहीं पहुंचा। यहां इस साल सिर्फ आठ हजार श्रद्धालु ही पहुंचे। जबकि पिछले साल यहां 4.66लाख श्रद्धालु पहुंचे थे।कोरोना के कारण पहले तो इस बार कपाट समय पर नहीं खुले। कपाट खुले, तो श्रद्धालुओं को दर्शन की मंजूरी नहीं दी गई। सिर्फ पूजा पाठ तक गतिविधि सीमित रही। पहले चरण में सिर्फ जिले के भीतर के लोगों को मंजूरी दी गई। दूसरे चरण में राज्य के भीतर के श्रद्धालुओं ने ईपास के जरिए दर्शन किए। तीसरे चरण में राज्य से बाहर के लोगों को तमाम शर्तों के साथ मंजूरी दी गई। इन बंदिशों और कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की संख्या सीमित ही रही। श्रद्धालुओं की इस सीमित संख्या के कारण मंदिरों में दान दक्षिणा, भेंट, चढ़ावा भी सीमित रहा। 55 करोड़ की कमाई का आंकड़ा आठ करोड़ तक सीमित रहा।