उत्तराखंड में आईपीएस अफसरो को डीआईजी प्रमोशन का इंतज़ार।

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देहरादून उत्तराखंड पुलिस में बीते कुछ महीनो में प्रमोशन पुलिस के वेलफेयर सर्वोच्च सुविधाओं से लेकर हाई स्टैंडर्ड आफ लिविंग को लेकर तमाम दावे हुये। कई प्रयास सफल भी हुए है ज्बकि कई प्रयासों का सफळ होना अभी बाकी है। उत्तराखंड राज्य में शायद ऐसा पहली बार ही होगा कि जब अखिल भारतीय पुलिस सेवा के अफसर प्रमोशन का इंतजार कर रहे है। वहीं राज्य पुलिस के फ्रंटलाइनर पुलिस जवान ग्रेड पे में सुधार के लिये ब्लैक मास्क लगा रहे है तो राज्य की सबसे बडी पीठ विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जवानों की मांग को और बुलंद कर दिया है। सवाल राज्य के गृह महकमे के कामकाज पर भी जानकार उठा रहे है।  


उत्तराखंड राज्य में भारतीय पुलिस सेवा के वर्ष 2007 बैच के पांच अफसर,योगेंद्र सिंह रावत एसएसपी देहरादून,डी सैंथिल आबुधेई एस कृष्णराज एसएसपी हरिदार,एसएसपी नैनीताल सुनील मीणा,एसएसपी कुंभ मेला जन्मेजय प्रभाकर खंडूरी,व केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये डॉ सदानंद दाते को  प्रमोट होना था।वजह ये बताई गई कि राज्य में कैडर पोस्ट के सापेक्ष रिक्तियाँ उपलब्ध न होने पर केंद्र से अनुमति लेना जरूरी होगा लिहाजा प्रमोशन शासन स्तर से अटका। 1जनवरी को होने वाले ये प्रमोशन व प्रमोशन के साथ ही नई तैनाती आज करीब छह माह से अटकी हुई है। पहले कहा गया कि इनके प्रमोशन का मामला राज्य कैबिनेट स्तर मात्र का है कैबिनेट बैठकें तो कई हो गई लेकिन शायद इनकी फाइल नही पंहुच सकी। में भी इन अफसरों के प्रमोशन की फाइल लंबित बताई जा रही थी लेकिन वास्तिवक स्थिति अभी स्पष्ट नही है। फिर कोविडकाल में कई कई काम काज धीमे पड गये। ये बात अलग है कि सीएम तीरथ सिंह रावत के 19 अप्रैल को किये गये ट्रांसफऱ पर रोक के टिवट के बावजूद पांच बडी तबादला लिस्ट जारी हो चुकी है। मौजूदा वर्ष 2021 के अंत में तीन आईपीएस अफसर,निवेदिता कुकरेती,बरिंदरजीत सिंह, पी देेेई भी प्रमोशन की दहलीज पर खडे है।ज्बकि इनसे पहले के अफसर प्रमोशन की राह देख रहे है। सेंक्शन पोस्ट में डेप्यूटेशन यानि प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अफसरों के हिसाब से भी पद रिक्त रहते है। मौजूदा समय में किसी अफसर के प्रतिनियुक्ति पर न होने के कारण भी रोटेशन बिगडा है।  


पुलिस जवानों की समस्या

राज्य पुलिस के पिछले दिनों कांस्टेबल के वेतनमान में कटौती संबंधी आदेश जारी किए गए थे। पहले 20 साल की संतोषजनक सेवा पर सिपाही को सब इंस्पेक्टर के बराबर 4600 रुपये का ग्रेड पे यानी वेतनमान दिया जाता था। जबकि, 30 साल की सेवा पर यह बढ़ाकर इंस्पेक्टर रैंक के बराबर 4800 रुपये कर दिया जाता है। नए आदेशों के अनुसार सिपाहियों को 20 साल की संतोषजनक सेवा पर 2800 रुपये ग्रेड पे दिए जाने की बात है।

ऐसे में सीधे तौर पर इसमें 1800 रुपये की कटौती की जा रही है। बीते करीब दो माह से इसको लेकर विरोध की बात कही जा रही थी। हालांकि, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस मामले में एक कमेटी का गठन भी किया था। लेकिन, कोरोना काल में यह बात अभी आगे नहीं बढ़ पाई। अब इस बीच कुछ सिपाहियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध भी दर्ज किया था। अब विधानसभा अध्यक्ष का स्वयं मुख्यमंत्री को पत्र लिखना मामले की गंभीरता को स्पष्ट रूप से बता रहा है।