वन आग्नि रोकने की दिशा में अहम निर्णय कोर्ट से भी सरकार का प्रस्ताव मंजूर

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 उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा रिट पिटिशन संख्या 202 / 1995, टी.एन. गोडावर्मन बनाम भारत सरकार व अन्य में पूर्व में दिये गये निर्णय के क्रम में आर0के0 सुधांशु, प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण, उत्तराखण्ड शासन व प्रमुख वन संरक्षक (HOFF), उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन में वन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में I.A. Application सं0 90000 / 2022 योजित की गयी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा निम्न दो अनुमतियों हेतु प्रार्थना की गयी थी

1. उत्तराखण्ड राज्य में वन क्षेत्रों में स्थित फायर लाईनों के उचित रख-रखाव एवं इन पर अवस्थित पुनरोत्पादित वृक्षों के आवश्यकतानुसार पातन हेतु ।

2. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार से अनुमोदित कार्ययोजनाओं के प्राविधानों के अनुसार वन प्रबन्धन हेतु वनवर्धन कार्यों की अनुमति ।

वन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में उक्त आई०ए० दाखिल करने एवं उक्त अनुमतियों को प्राप्त करने हेतु समय – समय पर ठौस पैरवी की गयी।

मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा 1.A. Application सं0 90000 / 2022 में दिनांक 17.05.2023 को निम्नानुसार निर्णय पारित किये गये :-

1. राज्य के अन्तर्गत फायर लाईनों के रख-रखाव एवं इनमें पुनरोत्पादित वृक्षों के निस्तारण हेतु राज्य सरकार को अनुमति प्रदान की गयी। साथ ही केन्द्र सरकार को भी वन प्रबन्धन हेतु पर्याप्त बजट राज्य सरकार को उपलब्ध कराने हेतु MoEF&CC से प्रतिउत्तर प्राप्त करने के निर्देश भी दिये गये। मा0 उच्च न्यायालय, नई दिल्ली के इस निर्णय से राज्य में फायर लाईनों में पुनरोत्पादित वृक्षों के निस्तारण होने से फायर लाइनों का उचित रख-रखाव फायर ब्रेक के रूप में हो सकेगा, जिससे वनाग्नि प्रबन्धन / नियंत्रण में अधिक सफलता प्राप्त होगी।

2. MoEF&CC से अनुमोदित कार्ययोजनाओं के प्राविधानों के अनुसार वन क्षेत्रों में वन वर्धन कार्यो के सम्पादन हेतु राज्य सरकार को अनुमति प्रदान की गयी है। इससे वन क्षेत्रों के अन्तर्गत वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन / प्रबन्धन में अधिक सफलता / सुगमता प्राप्त होगी।

 उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा उक्त पारित निर्णय वन प्रबन्धन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।