दून की सांई सुपर्जा को बढ़ी उपलब्धि कठिन अरंगेत्रम विधा में हुई पारंगत

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राजधानी देहरादून की रहने वाली सांई सुपर्जा ने भारत नाट्यम की सबसे कठिन विधाओं को सीखते हुए कई वर्षों की तपस्या के बाद भारत नाटयम में अपना अरंगेत्रम पूर्ण कर लिया है। राजधानी दून के गढी कैंट स्थित हिमालयन सांई संस्कृति केंद्र में अपनी पहली प्रस्तुति दी जिसे देख हर कोई हतप्रभ रह गया। कार्यक्म में उत्साह वर्धन करने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पत्नी गीता धामी समेत कई गणमान्य और कई वरिष्ठ अफसर भी पंहुचे थे। सीनियर आईएएस अफसर मीनाक्षी सुंदरम की पुत्री सांई सुपर्जा पांच वर्ष की उंम्र से इस कठिन साधना को सीख रही है।

सांई अभी 11  वीं की सेंट जोसेफ स्कूल की छात्रा है। भरत नाटयम की ये सबसे कठिन विधा मानी जाती है। आपको बताते चलें अंबनी परिवार की बहु राधिका मचेंट ने भी जियो सेंटर मुंबई में  अरंगेत्रम सेरमेनी के तहत अपना प्रस्तुतिकरण दिया था।

अरंगेत्रम एक तमिल का शब्द है, जिसका मतलब है भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत के साधक का पहला स्टेज प्रदर्शन. इस सेरेमनी का आयोजन तब किया जाता है, जब कोई स्टूडेंट्स भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत से जुड़ी ट्रेनिंग को पूरा कर लेता है. आरेंगत्रम से पहले बोझिल अभ्यास की न्यूनतम समय अवधि आमतौर पर 7-8 साल और उससे अधिक होती है, लेकिन वह समय इस बात पर निर्भर करता है कि आपके गुरु आपको कितना अच्छा मानते हैं कि आप अपना अभ्यास पूरा कर रहे हैं। यदि आप तेजी से सीखते हैं, तो यह 5 या 6 वर्षों में भी हो सकता है।इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की पत्नी गीता धामी ने भी उन्हे हार्दिक बधाई दी है।