दिल्ली पुलिस ने किया ड्रग सिंडिकेट का खुलासा

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मदद से एक ड्रग्स सिंडिकेट का खुलासा किया है। पुलिस ने इस संबंध में तीन आरोपियों को दबोचा है, जिनके कब्जे से 4720 किलोग्राम अल्प्राजोलम के अलवा 1570 किलोग्राम कच्चा माल बरामद किया है

करोड़ों की नशीली दवा बरामद: यूपी में अवैध रूप से तैयार अल्प्राजोलम की देश भर में सप्लाई, पुलिस ने तीन को दबोचा
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मदद से एक ड्रग्स सिंडिकेट का खुलासा किया है। पुलिस ने इस संबंध में तीन आरोपियों को दबोचा है, जिनके कब्जे से 4720 किलोग्राम अल्प्राजोलम के अलवा 1570 किलोग्राम कच्चा माल बरामद किया है।


अक्सर नींद और डिप्रेशन की दवाई बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला अल्प्राजोलम (मादक पदार्थ) अवैध रूप से गजरौला की एक फैक्टरी में तैयार किया जा रहा था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मदद से एक ड्रग्स सिंडिकेट का खुलासा किया है। पुलिस ने इस संबंध में तीन आरोपियों को दबोचा है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 4720 किलोग्राम तैयार अल्प्राजोलम के अलवा 1570 किलोग्राम कच्चा माल बरामद किया है। बरामद अल्प्राजोलम (मादक पदार्थ) की अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक करोड़ से ज्यादा कीमत बताई जा रही है।

पकड़े गए आरोपियों की पहचान शिखर एंल्केव, नवोदय नगर, हरिद्वार, उत्तराखंड निवासी रचित कुमार (22) गांव सिदावाली, नूरपुर, बिजनौर यूपी निवासी नमित चौधरी (34) और तेलंगाना निवासी वांगा राजेंद्र गौड उर्फ राजू (49) के रूप में हुई है। नमित गजरौला में फैक्टरी मालिक से अल्प्राजोलम खरीदकर रचित को दे देता था। पुलिस की छापेमारी की खबर मिलने के बाद अल्प्राजोलम बनाने वाली फैक्टरी का मालिक फरार हो गया। रचित एल्युमिनियम रेप की मदद से विशेष तरह की पैकिंग में अल्प्राजोलम को छिपाकर कूरियर के जरिए तेलंगाना में वांगा राजेंद्र गौड व बाकी अन्यों के पास भेज देते थे। वांगा अल्प्राजोलम को ताड़ी (देसी नशे का ड्रिंक) में मिलाकर उसके नशे को और बढ़ा देता था। इसकी वजह से उसकी ताड़ी की तेलंगाना में खूब डिमांड थी।

स्पेशल सेल की टीम फरार फैक्टरी मालिक की तलाश में लगातार दबिश दे रही है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर मामले की छानबीन की जा रही है। पुलिस ने गजरौला की फैक्टरी से भारी मात्रा में अल्प्राजोलम तैयार करने में इस्तेमाल की जाने वाली मशीन बरामद की हैं। आरोपियों से लगातार पूछताछ जारी है।

ऐसे हुआ खुलासा
स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त अमित कौशिक ने बताया कि उनकी टीम को फरवरी 2024 में सूचना मिली थी कि कुछ लोग उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से मादक पदार्थ दिल्ली मंगाकर उनको दक्षिण भारतीय राज्यों में भेज रहे हैं। सूचना मिलने के बाद एसीपी कैलाश सिंह बिष्ट, इंस्पेक्टर विनीत कुमार तेवतिया, राहुल कुमार व अन्यों की टीम जांच शुरू की। आरोपियों तक पहुंचने के लिए एनसीबी की टीम की भी मदद ली गई। इस दौरान 25 अप्रैल को टीम ने आईजीआई एयरपोट पर एक कूरियर कंपनी के दफ्तर पर छापेमारी की। यहां से एक संदिग्ध कूरियर बरामद किया। उसे एल्युमिनियम से रेप करने के अलावा मोटे गत्ते के तीन-चार डिब्बों में छिपाया गया था।

कूरियर पार्सल को खोला गया तो उसमें दो किलोग्राम अल्प्राजोलम बरामद हुआ। छानबीन के बाद टीम हरिद्वार पहुंची। वहां से पुलिस ने रचित को दबोचा। उसकी निशानदेही पर 1006 किलोग्राम अल्प्राजोलम बरामद किया गया। रचित से पूछताछ के बाद हरिद्वार से ही नमित को दबोच लिया गया। बिजनौर स्थित उसके घर से 1712 किलाग्राम अल्प्राजोलम बरामद हुआ। नमित ने बताया कि वह तापेश्वर मंदिर, गांव सलेमपुर, गौसाइ, गजरौला, यूपी में चल रही फैक्टरी से अल्प्राजोलम लेकर आता था। फौरन टीम ने अदालत से वहां तलाशी की इजाजत लेकर फैक्टरी में छापेमारी की।

पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही मुख्य आरोपी व फैक्टरी मालिक वहां से फरार हो गया। पुलिस को यहां से भारी मात्रा में तैयार व कच्चा माल के अलावा मशीनें मिलीं। दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने अल्प्राजोलम खरीदने वाले आरोपी को तेलंगाना से दबोच लिया। वह तेलंगाना में ताड़ी बनाकर उसमें अल्प्राजोलम मिलाकर उसका नशा बढ़ा देता था। आरोपी ने बताया कि महज 100 ग्राम अल्प्राजोलम से 900 पेटी ताड़ी तैयार कर लिया करता था। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।

कौन हैं पकड़े गए आरोपी
रचित कुमार के पिता हरिद्वार में फार्मा कंपनी को मजदूर उपलब्ध करवाते हैं। खुद रचित ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है, वह हरिद्वार में अपना रेस्टारेंट चलता है। इस दौरान वह नमित के संपर्क में आया। नमित से अल्प्राजोलम लेने के बाद वह कूरियर के जरिये देश के अलग-अलग राज्यों में भेजता था।

मूलरूप से बिजनौर का रहने वाला नमित चौधरी ने देहरादून से ग्रेजुएशन करने के बाद दवा कंपनी में एमआर की नौकरी शुरू कर दी। उसका काम कई दवाई की कंपनी को कच्चा माल उपलब्ध करवाना था। इस दौरान वह मुख्य आरोपी के संपर्क में आया और उससे अल्प्राजोलम लेकर आगे सप्लाई करने लगा।

वांगा राजेंद्र गौर उर्फ राजा तेलंगाना में रहता है। उसका वहां पर लाइसेंस लेकर ताड़ी बेचने का कारोबार है। पहले वह डियाजेपाम मिलाकर ताड़ी बेचता था, लेकिन जब डियाजेपाम मिलना बंद हुआ तो वह अल्प्राजोलम मिलाकर ताड़ी बेचने लगा। इससे उसकी ताड़ी की सेल काफी बढ़ गई। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।