क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल में एसएसपी अजय सिंह का संबोधन

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देहरादून:रविवार 05 नवम्बर, 2023 को दून कल्चरल एण्ड लिटरेरी सोसाइटी द्वारा वेल्हम ब्वॉयज स्कूल में क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन की शुरुआत आकर्षक सत्र ‘जासूसी थ्रिलर’ के साथ हुई .इस दौरान पैनलिस्ट के रुप में शामिल सिद्धार्थ माहेश्वरी ने कहा कि जासूसी उपन्यास को लिखना रोमांचकारी एवं कठिन कार्य है.. पैनलिस्ट में रहे मुरलीमुर्ति ने कहा कि थिसिस पर कार्य करना, साहित्य लेख से अधिक चुनौतिपूर्ण है. उन्होने कहा कि देश की प्रमुख संस्थाओ में हुइ संदिग्ध जासूसी घटनाओं पर प्रकाश डाला.

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कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वीरपन्न पर आधारित “ऑपरेशन ककून” के बारे में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के० विजय कुमार ने बताया कि शुरुआत में वीरपन्न जंगलों में शिकार किया करता था,धीरे-धीरे शिकारी वीरपन्न ने कानून तोड़ते हुए, बड़ा गिरोह बनाकर जंगल पर एकछत्र राज करना शुरु किया..उन्होने बताया कि सामुहिक प्रयास से ही ऑपरेशन ककून को सफलता मिल पाई. दो विभिन्न राज्यों में संचालित ऑपरेशन ककून आपसी समन्वय का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. इस सत्र में पैनलिस्ट के रुप में पूर्व डीजी आलोक बी0 लाल एवं डी0वी0 गुरु प्रसाद सामिल रहे व इस सत्र का संचालन डॉ सृष्टि सेठी (मॉडरेटर) ने किया..

वही अगले सत्र में ‘श्रीप्रकाश शुक्ला एनकाउंटर केस पर आधारित’ – “ऑपरेशन बाजूका” पर विस्तृत चर्चा की गयी.. पैनलिस्ट के रुप में शामिल आर0के0 गोस्वामी एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश पाण्डेय न बताया कि श्रीप्रकाश शुक्ला एनकाउंटर केस की शुरुआत में एसटीएफ के पास अभियुक्त की फोटो नही थी.. शातिर श्रीप्रकाश लालबत्ती की कारों का उपयोग कर हाईप्रोफाइल लोगों को किडनेप कर फिरौती मांग करता था..उन्होने कहा पुलिस की लापरवाही की खबरे हमेशा अखबारों के पहले पन्ने पर दिखती है,लेकिन पुलिस की सफलता अखबार के आखरी पन्ने पर ही नजर आती है.उन्होने कहा कि आमतौर पर पाठक साहित्य को दिल से पढ़ता है, किन्तु अपराध साहित्य पढ़ने में दिमाग का प्रयोग करना होता है..

बाटला हाउस एनकाउंटर केस पर आधारित सत्र में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी करनैल सिंह ने बताया कि शुरुआत में पुलिस दल को हतोउत्साहित करने के लिए एनकाउंटर को फेक बताने की होड मची थी,वहीं उन्होने बहादुर पुलिस अधिकारी मोहन चन्द्र शर्मा की सराहना करते हुए बताया कि एनकाउन्टर्स से एक दिन पूर्व उनका बच्चा अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद उन्होने एनकाउंटर में पुलिस टीम का नेतृत्व किया.

वेब सीरीज भौकाल कहानी के असली नायक नवनीत सिकेरा पर हुई खूब चर्चा..

प्रसिद्ध वेब सिरीज “भौकाल” पर आधारित सत्र को शुरू करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नवनीत सिकेरा ने अपने ट्रैनर एवं पूर्व डीजीपी उत्तरखण्ड अनिल के0 रतूड़ी का खड़े होकर अभिवादन करते हुये बताया कि सर के द्वारा दिया गया प्रशिक्षण आज भी उनके लिए अमुल्य है. उन्होने बताया कि पुलिस को डेडबाडी उठाने से लेकर पोस्टमार्टम तक के कार्यों में सहयोग देना पडता है। पैनलिस्ट के रुप में शामिल भौकाल वेब सिरीज के प्रोडयुसर हरमन बावेजा एवं जयशीला बंसल ने कहा की फिल्म बनाने के दौरान पुलिस के नियमों को ध्यान में रखकर फ्रेम बनाना काफी चुनौतिपूर्ण था..

वही तराई में आतंकवाद शीर्षक पर आधारित विशेष सत्र में पूर्व डीजी आलोक बी लाल ने बताया कि उन दिनों पुलिस के पास हथियार के साथ ही अन्य संसाधनो की भारी कमी थी.रेगुलर क्राईम पर नकेल कसने वाली पुलिस को अचानक से तराई में फैल रहे आतंकवाद से जुझना पड़ा, बावजूद इसके पुलिस ने तराई में आतंवाद को जड़ से समाप्त करने में सफलता पायी.. पूर्व डीजीपी अनिल के रतूड़ी ने बताया कि तराई में पोस्टिंग के दौरान एसपी के बंगले पर लगभग 100 पुलिस के जवान तैनात थे ओर हर 30 गज पर एक अलार्म उपलब्ध था,जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है पुलिस ने तराई में आतंकवादी घटनाओं के दौरान मुश्किल समय को देखा है.