उत्तराखंड एसटीएफ के एक्शन के बाद उतर प्रदेश पुलिस का भी एक्शन शुरू

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स्पेशल टास्क फोर्स*        *उत्तराखण्ड*       गैंगेस्टर यशपाल तोमर व उसके गैंग पर *उत्तराखण्ड एसटीएफ की की एक और सर्जिकल स्ट्राइक*
     वर्ष 2002 के 307/420 आईपीसी में कोतवाली हरिद्वार के एक मामले में *गुरुग्राम से चोरी की गाड़ी के फर्जी दस्तावेज किसी अन्य व्यक्ति के नाम से बनाकर, तथा बागपत के एक व्यक्ति की आई.डी. लगाकर* न्यायलय में गैंग के दूसरे सदस्य को दिखा कर गाड़ी कराई थी रिलीज और मुकदमे में बरी हो गया था     *स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखंड की गोपनीय जांच में हुआ खुलासा*,एक और मुकदमा हुआ दर्ज,कोतवाली हरिद्वार में धारा 420/467/468/471/34 आईपीसी में यशपाल तोमर व अन्य पर

मेरठ पुलिस से मिलकर लिखवाता था फर्जी मुकदमे
 दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के भूमाफिया यशपाल तोमर को मेरठ पुलिस से भी सांठगांठ थे। पुलिस से मिलकर भूमाफिया पहले मुकदमा दर्ज कराया था और फिर सेटिंग कर समझौते कराकर मोटी बाद में सेटिंग कर समझौता कराकर वसूलता था मोटी
एक इंस्पेक्टर सहित दरोगा और सिपाहियों पर मुकदमे की तैयारी

कौन है भूमाफिया यशपाल तोमर
बशपाल तोमर मूलरूप से बागपत का निवासी है। हरिद्वार पुलिस ने के मामले में उसको जेल भेजा हुआ है। हरिद्वार पुलिस ने पांच दिन पहले 153 करोड़ की उसकी संपत्ति कुर्क को है मेरठ समेत कई जिलों में पाल ने पुलिस से सेटिंग करके पहले एक पक्ष को गोली लगबाई व फिर दूसरे पक्ष पर मुकदमा दर्ज करा दिया
यशपाल ऐसे करता था खेल
इसका हिस्सा पुलिस को जाता था। भूमाफिया ने दिल्ली के गिरधारी चावला को भी जानलेवा हमले के मामले में शिकार था। इस मामले की जांच अब एमपीपल तोमर शातिर अपराधी है। संपत्ति को लेकर दो भाई या परिवार के बीच सिटी ने को तो सारा खेल सामने आया। एसएसपी का कहना है कि पशपाल तोमर की करीब 45 करोड़ की संपत्ति कुर्क भी की जाएगी।

मामला नो नवंबर 2020 का है। दिल्ली के व्यापारी गिरधारी लाल चावला अपने ड्राइवर गौरव के साथ शॉपिक्स मॉल में आए थे। एक प्रॉपटी में. को लेकर उनको यहां पर मीटिंग थी। बिजली बंबईपास स्थित सुपरटेक पामग्रीन के पास स्कूटी सवार दो बदमाशों ने गिरधारी लाल और गौरव को गोली मार दी।
इस सूचना पर ब्रह्मपुरी पुलिस ने दोनों को हापुड़ रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया और एक घंटे बाद दिल्ली रेफर कर दिया। इस मामले में गिरधारी लाल के भाई भरत चावला, अमन, करण, सुधा, सुशील प्रेम चावला और देवेंद्र प्रधान नामजद हुए

पहले विवाद होता है। ऐसे मामले में पशपाल तोमर एक पक्ष में साठगांठ कर लेता है। गोलगधाकर दूसरे पक्ष पर मुकदमा दर्ज कराता है। उसके बाद नदी को फर्जी मुकदमे और आरोपी को समझौता करने की बात कहकर ब्लैकमेल कर लेता है। गिरीलाल को भी पाल ने इसी तरह शिकार बनाया। गिरधारीलाल की भी जमीन पर यशपाल ने कर लिया। इस खेल में लाना पुलिस से सेटिंग कर लेता है। यशपाल ने ब्रहमपुरी थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर से सेटिंग करके तो मुकदमे दर्ज कराए है। अब उनकी भी जांच चल रही है।
आरोपी बने मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपियों के यहां पर दिल्ली में दबिश दी गई। इसमें कई लोगों को प्रविष्टि दी गई है। जेल भेजा गया।
जेल से छूटने के बाद आरोपी पक्ष एसएसपी प्रभाकर चौधरी से मिला और खुद को बेकसूर बताया और ब्रह्मपुरी पुलिस को साठगाठ से यशपाल तोमर के कहने पर मुकदमा दर्ज कराने की बात कही। इस मामले की जांच एसपी सिटी विनीत भटनागर ने जांच की  तो सब आरोप सही पाए गए।
एसपी सिटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। इसके बाद रंग यशपाल तोमर निवासी बागपत के मु खिलाफ धारा 307 में मुकदमा दर्ज कर लिया है। तत्कालीन रंग इंस्पेक्टर और दरोगा पर भी मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर दी है। यशपाल तोमर पुलिस से साठगाठ ती करके 19 फर्जी मुकदमे दर्ज करा दिए गए