श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में एण्डोवैस्क्यूलरतकनीक से सर्जरी की सुविधा उपलब्ध पल्मोनरी थ्रोम्बो एम्बोलिज़्म के मरीजों के लिए वरदान साबित हुई यह तकनीकवैस्क्यूलर थ्रोम्बोसिस एक प्रचलित एवं गम्भीर समस्या है। इसके कारण डीप वेन थ्रोम्बोसिस (शरीर की शिराओं में खून का थक्का जमना) और क्रोनिक लिम्ब इस्कीमिया यानी रक्त वाहिनियों में रुकावट तथा रक्त प्रवाह में कमी हो सकती है। इस बीमारी में पैरों और टाँगों में सूजन, पैर/अंगुलियों का काला होना/न भरने वाले जख्म हो सकते हैं और कभी कभी पैर/टांग काटने की नौबत तक भी आ सकती है। इसके अलावा गहरी शिराओं (कममच अमपदे) में जमंे खून के थक्के रक्त प्रवाह के साथ शरीर के नाजुक और महत्त्वपूर्ण अंगों जैसे फफ्फुस (सनदहे) में जा सकते हैं और पल्मोनरी एम्बोलिज़्म ) जैसी गम्भीर, जानलेवा और जटिल समस्या का कारण बन सकते हैं। अमूमन इस बीमारी का इलाज जटिल आॅप्रेशन या/और दीर्ध काल तक चलने वाली दवाओं से किया जाता है जो कि महँगा और बवउचसपबंजमक होता है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ऐसी बीमारियों के (आधुनिक नवीनतम) इलाज के लिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के खास तरह के आॅपरेशन थिएटर हाईब्रिड इन्टरवेन्शन सुईट में किये जाते हैं। इस इलाज में त्वरित रिकवरी एवं अस्पताल मेें कम दिन भर्ती रहने की जरुरत पड़ती है। इसके उपयोग से कोई बड़े आप्रेशन और अधिक दवाओं के सेवन से बचा जा सकता है। पल्मोनरी थ्रोम्बो एम्बोलिज़्म के मरीजों में यह जीवन रक्षक तकनीक है। यह तकनीक और मुनपचउमदज उत्तराखण्ड में केवल श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उपलब्ध है। इस तकनीक से इलाज मेट्रो शहरों के कुछ चुनिंदा बड़े अस्पतालों में ही उपलब्ध है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में अब तक वरिष्ठ काॅर्डियोथोरेसिक एवम् वैस्क्यूलर सर्जन डाॅ अरविन्द मक्कड़ और वरिष्ठ इंटरवेंशनल रेडियोलाॅजिस्ट डाॅ प्रशांत सारडा की टीम कई मरीजों को इस नवीन पद्धति से सफल उपचार दे चुके हैं।
पहाड़ के लोगों के लिए उनकी टाँगें/ सवूमत सपउइ बहुत महत्वर्पूण है। टाँगें ही उनके यातायात व जीवनयापन का साधन हैं। पैरों और टाँगों से लाचार मरीज परिवार व समाज के लिए बोझ बन सकते हंै। इसके लिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ‘सेव अवर लिम्ब कैम्पेन के अन्तर्गत चैबीस घन्टे ऐसे मरीजों का ईलाज जल्द ही शुरू होने जा रहा है। पर काॅल करने से मरीजों को 24 घण्टे 7 दीं पूरी जानकारी और मदद मिलेगी।