देहरादून मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आबकारी महकमे में कर्मचारियों के दो दिनों के भीतर मेडिकल कराने की जो तेजी दिखाई गई काश ये तेजी ठेके उठान को लेकर दिखती तो विभाग के राजस्व की स्थिति भी कुछ और होती। बिना सचिव आबकारी के जानकारी के कर्मचारियों के हो प्रमोशन से पूर्व तीसरी बार होने वाले मेडिकल में वीडियोग्राफी का प्रावधान न होने से और भी गंभीर सवाल खडे हो रहे है। सूत्रों की मानें तो मेडिकल शुरु हो चुका है और पूर्व में की गई वीडियो ग्राफी की व्यवस्था को इस बार समाप्त कर दिया गया है। एक विधायक का दबाव व कुछ अनफिट लोगों को फिट दिखाने की ये सारी जुगत बताई जा रही है।
राज्य के आबकारी महकमे में जारी अंधेरगर्दी किसी से छिपी नही है। दो दिन पूर्व एकाएक निकले तीसरी बार मेडिकल कराने के आदेशों से सब हैरान तो थे ही लेकिन पूर्व में हुए मेडिकल की रिपोर्ट न मिलने को एक वाजिब वजह बताया जा रहा था। लेकिन मेडिकल के दौरान वीडियोग्राफी की व्यवस्था समाप्त करने पर और भी गंभीर सवाल खडे कर रहे है। स्वयं विभाग के कर्मचारी इसे बहुत बडा खेल बता रहे है। मामले में आधिकारिक रूप से कोई बोलने को तैयार नही है।