ट्रैफिक सुधार के साथ ही विभागीय ढांचा सुधार भी हुआ शुरू।

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यातायात निदेशालय,उत्तराखण्ड द्वारा प्रदेश की यातायात व्यवस्था के सुधार हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे है जिसके अन्तर्गत राज्य में यातायात प्रबन्धन में नियुक्त समस्त अपर उपनिरीक्षक यातायात/अपर गुल्मनायक से निरीक्षक यातायात तक के कर्मियों को नाम व पदनाम के साथ स्पष्ट कार्य आंवटन और उसका विस्तृत आंकलन करने के निर्देश जारी किये गये है। जिससे न केवल उनके कार्यों में पारदर्शिता और अनुशासन परिलक्षित होगा, बल्कि कर्मचारियों की कार्यक्षमता का आंकलन भी प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।
जनपदों में नियुक्त/सबद्व समस्त अपर उपनिरीक्षक यातायात/अपर गुल्मनायक से निरिक्षक यातायात स्तर तक के कर्मियों के लिए चरणबद्व तरीके से निम्न प्रकार कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये है :-
• कार्य क्षमता एवं अनुभवः- कर्मचारियों की क्षमता और उनके अनुभव के अनुसार प्रत्येक अधिकारी को नाम व पदनाम के साथ कार्यों का आवंटन किया जाए , जिसमें वे अपने कार्यों को और अधिक प्रभावी तरीके से सम्पन्न कर सकेंगे।
• उत्तरदायित्व की स्पष्टता- सभी अधिकारी/कर्मचारियों को उनके उत्तरदायित्वों और जिम्मेदारियों के बारे में स्पष्ट आदेश/दिशा निर्देश निर्गत किये जाएं।
• कार्य मूल्यांकन:- समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक यातायात का यह व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होगा कि अपर उपनिरीक्षक यातायात/अपर गुल्मनायक से निरीक्षक यातायात स्तर तक के प्रत्येक कर्मचारी की कार्यक्षमता का वस्तुनिष्ठ (Objective) मूल्यांकन उन्हें आवंटित कार्यों के आधार पर करेंगे ।
• यातायात कर्मियों का मूल्यांकन Scientific Tools (जैसे Google Map आदि) के तुलनात्मक अध्ययन में पाये गये अपेक्षित सुधार के द्वारा किया जाये। साथ ही इस सम्बन्ध में विस्तृत रिपोर्ट 01 माह पश्चात यातायात निदेशालय को भी भेजेंगे।
• यातायात निदेशालय द्वारा भी उपरोक्त सभी मानकों को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक यातायात कर्मी के कार्यों का आंकलन किया जायेगा और जो भी कर्मी यातायात प्रबन्धन की दृष्टि से प्रभावी नहीं पाये जायेंगे उन सभी कर्मियों को यातायात पुलिस से अवमुक्त करते हुए यातायात प्रबन्धन के लिए निष्प्रभावी चिन्हित करते हुए (ताकि कभी भी भविष्य में उन्हें यातायात पुलिस में तैनाती न दी जाये) उनके मूल संवर्ग में वापस किया जायेगा ।