उत्तराखंड पुलिस में वरिष्ठता निर्धारण का विरोध तेज कोर्ट जाने की तैयारी

ख़बर शेयर करें

पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी की गई इंस्पेक्टरों की वरिष्ठता सूची का कुछ जगह सोशल मीडिया पर विरोध हो रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि सूची नियमानुसार नहीं है। इसके लिए कोर्ट जाने की बात भी उठाई जा रही है। लेकिन, जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि यह वरिष्ठता सूची सेवा नियमावली को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। इसमें जो वरिष्ठ हैं उन्हें वरिष्ठता के क्रम में रखा गया है।

दरअसल, अभी तक पुलिस विभाग में इंस्पेक्टरों की वरिष्ठता का निर्धारण प्रमोशन के आधार पर होता था। मसलन, दरोगा का जब इंटरव्यू के आधार पर प्रमोशन होता था तब से ही उसकी वरिष्ठता निर्धारित होती थी। लेकिन, इस बार पीटीसी के अंकों के आधार पर वरिष्ठता सूची जारी की गई है। इस हिसाब से कुछ लोगों का कहना है कि इससे उनके जूनियर अधिकारी सीनियर हो जाएंगे। इसके विरोध में सोशल मीडिया पर कोर्ट जाने की बातें भी कही जा रही हैं। हालांकि, अनुशासित बल होने के कारण इसका खुलकर विरोध नहीं हो पा रहा है

इससे अलग कुछ अधिकारी और कर्मचारी इसे सही बता रहे हैं। इंस्पेक्टर के प्रमोशन के लिए अब इंटरव्यू प्रक्रिया खत्म कर दी गई है। ऐसे में ज्येष्ठता में श्रेष्ठता का कोई आधार नहीं है। इसके अलावा सभी राज्यों में वरिष्ठता पीटीसी के अंकों के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। प्रदेश में भी 2002 में ज्येष्ठता नियमावली बनी थी। लेकिन, यह पुलिस विभाग में लागू नहीं की गई थी। इस नियमावली के नियम सात में इसका प्रावधान है कि ज्येष्ठता का क्रम सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग में आए अंकों के आधार पर ही किया जाएगा। अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इसे पूरे नियमों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया है।

———-

क्या कहता है नियम सात

सेवा नियमावली के नियम सात के अनुसार जहां नियुक्तियां एक से अधिक पोषक संवर्ग (पुलिस में पीएसी, एलआईयू आदि) से केवल पदोन्नति द्वारा की जानी हो वहां किसी एक चयन के परिणामस्वरूप नियुक्त किए गए व्यक्तियों की परस्पर ज्येष्ठता उनके अपने-अपने पोषक संवर्ग में उनकी मौलिक नियुक्ति के आदेश के दिनांक के अनुसार अवधारित की जाएगी।