देहरादून शासन के कार्मिक महकमे से देर रात राज्य की नौकरशाही के फेरबदल में आए एक आदेश के पीछे की वजह सीनियर आईएएस भी नही समझ पा रहे है। राज्य की वरिष्ठ महिला आईएएस अपर मुख्य सचिव व अध्यक्ष आईएएस एशोसिएशन से औघोगिक विकास जैसा अहम महकमा सरकार ने हटा दिया है। ज्बकि जूनियर मोस्ट आईएएस बतौर जिलाधिकारी सुश्री वंदना को रूद्रप्रयाग के डीएम पद से हटाकर कोई तैनाती दिये जाने के बजाए अटैच किया जाना चौंकाने वाला है।
राज्य में नौकरशाही में कब किससे क्या काम लेना है किसे क्या जिम्मेदार देनी है ये राज्य सरकार का अधिकार है। समय समय पर शासन में फेरबदल होते है ये सामान्य प्रक्रिया है। आज देर शाम आए आदेशो में चार्ज व जिम्मेदारियां तो हटाई गई लेकिन नई जिम्मेदारी किसी को दी नही गई। वंदना ने जिला रूद्रप्रयाग में जाकर अच्छा काम करते हुये एक मिसाल भी पेश की थी। वंदना मेहनती व ईमानदार अफसरो में शुमार है। अब बात चर्चाओं व अलग अलग पक्षों की। सबसे पहले बात अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार से औधोगिक विकास जैसा बडा ओहदा हटने का है। मनीषा राज्य में औधोगिक ईकाईयों की स्थापना निवेश के लिये सरकार के साथ कई शहरों में भी जा चुकी है। मनीषा से हटे इस विभाग को अब फिलहाल आईएएस सचिन कुर्वे ही देंखेंगें,जिनके पास औधोगिक विकास जैसा अहम विभाग है। देर रात आये इन आदेशों को लेकर जानकार इसके पीछे नाराजगी वजह मान रहे है,ज्बकि कुछ अफसर मनीषा पंवार के औधोगिक विकास को स्वयं इच्छा से छोडा गया है ऐसा अनुमान लगा रहे है। एक चर्चा ये भी है कि बीते दिनों मनीषा के बाल विकास विभाग लेने से इंकार करना नाराजगी का कारण बना है।अब बात जिलाधिकारी सुश्री रुद्रप्रयाग वंदना के हटने की छह माह में वंदना का रूद्रप्रयाग जैसे जिले से हटना चौंकाने वाला है। उन्हे कोई नई जिम्मेदारी न देकर अपर मुख्य सचिव कार्यालय से सीधा अटैच कर दिया गया है। अटैचमेंट या बाध्य प्रतीक्षा को जानकार अफसर शासन की नाराजगी से भी जोडकर देखते है। आपको बताते चलें कि अभी तक नया डीएम रूद्रप्रयाग का कौन होगा ये सरकार ने तय नही किया है। वहीं आगामी दो दिनों में राज्य स्थापना से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत रूद्रप्रयाग जाने वाले है। वंदना को यदि हटाया ही जा रहा तो उन्हे शासन में अपर सचिव किसी विभाग में बनाया जा सकता था। एक चर्चा ये भी है कि यदि सामान्य तबादले या परिवर्तन ही इसे मान लें तो फिर नया अधिकारी इनके विभागों के सापेक्ष न तय होना भी एक सवाल है। बरहाल चर्चायें अलग अलग है लेकिन अंतिम निर्णय सरकार का ही सर्वोपरि है।