विजिलेंस ने दबोचे रिश्वतखोर इंजीनियर

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डीआईजी विजिलेंस अरुण मोहन जोशी

देहरादून डीआईजी विजिलेंस अरुण मोहन जोशी के नेतृत्व में विजिलेंस शानदार काम कर रही है।अधिशाषी अभियंता की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तारी ने लोक निर्माण विभाग को हिला कर रख दिया है। ट्रैप टीम ने लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग खंड रानीखेत के अधिशासी अभियंता (ईई) महिपाल सिंह कालाकोटी और सहायक अभियंता (एई) हितेश कांडपाल को एक लाख रुपये रिश्वत लेते पकड़ा। दोनों अफसरों ने एक व्यक्ति से बार लाइसेंस एनओसी जारी करने के एवज में तीन लाख रुपये मांगे। सौदा एक लाख रुपये में फाइनल हुआ था। दोनों अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की तैयारी चल रही है।

विजिलेंस के अनुसार एक व्यक्ति ने छह जुलाई को एसपी विजिलेंस हल्द्वानी को शिकायत दी। उसने बताया कि उसने रेस्टोरेंट के बार लाइसेंस के लिए 2019 में अल्मोड़ा में आवेदन किया था। डीएम ने लोनिवि समेत नौ विभागों से लाइसेंस के लिए आख्या मांगी। लोनिवि की देरी पर शिकायतकर्ता ने लोनिवि अफसरों से संपर्क किया तो उन्होंने 3 लाख रुपये मांगे। गुजारिश पर एक लाख रुपये में सौदा तय किया। विजिलेंस इंस्पेक्टर हेम पांडे ने शिकायत की जांच कर आरोपों की पुष्टि की। इसके बाद ट्रैप टीम गुरुवार रानीखेत लोनिवि राष्ट्रीय राजमार्ग खंड दफ्तर पहुंची। यहां ईई महिपाल सिंह, एई हितेश कांडपाल दोनों थे। शिकायतकर्ता ने ईई को रकम सौंप दी, जिसे ईई महिपाल सिंह ने सामने कुर्सी पर बैठे एई हितेश कांडपाल को दे दी। दोपहर करीब 3.30 बजे ट्रैप टीम ने दोनों अफसरों को रिश्वत की रकम के साथ दबोच लिया।