देहरादून उत्तराखंड राज्य कर विभाग उत्तराखण्ड को आयुक्त राज्य कर के नेतृत्व में एक बड़ी उपलब्धि प्राप्त हुयी है। लगभग 8 माह पूर्व आयुक्त राज्य कर के निर्देश पर राज्य कर विभाग की केन्द्रीयकृत आसूचना इकाई (CIL) देहरादून द्वारा छः फर्मों में करोड़ों रूपये की आई०टी०सी० के फर्जीवाड़े में इन फर्मों के संचालनकर्ता श्री सुरेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में केन्द्रीयकृत आसूचना इकाई (CIU) देहरादून द्वारा सक्षम न्यायालय में शिकायत दर्ज की गयी थी. जिसके क्रम में लगभग 6 माह के भीतर ही त्वरित सुनवायी करते हुए दिनांक 17.12.2022 को श्री सुरेन्द्र सिंह को सक्षम न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध करार दिया गया है। यह सम्पूर्ण देश में प्रथम मामला है, जिसमें करापवंचन में लिप्त किसी दोषी व्यक्ति को जी०एस०टी० अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत सजा सुनायी गयी है।
दिनांक 17.12.2022 को मा० न्यायालय द्वारा सभी अभिलेखों की जाँच करने के पश्चात श्री सुरेन्द्र सिंह को मा० मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री मुकेश चन्द आर्य द्वारा 5 वर्ष की कठोर कारावास तथा रू० 1 लाख जुर्माने की सजा सुनायी गई है। जुर्माना जमा नहीं करने की स्थिति में 3 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। माननीय न्यायालय द्वारा अभियुक्त को माल एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 132 (1) (ख) एवं 132 (1) (ग) में उल्लिखित अपराध हेतु धारा 132 (1) (i) के अन्तर्गत दोषसिद्ध पाये जाने के आधार पर यह सजा सुनायी गयी है। राज्य कर विभाग की ओर से अधिवक्ता श्री रिंकू सिंह अभियोजन अधिकारी एवं अधिवक्ता श्री लक्ष्य सिंह विशेष लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा उक्त बाद की पैरवी की गई।
इस मामले में माननीय न्यायालय द्वारा केन्द्रीयकृत आसूचना इकाई (CIU) देहरादून द्वारा की गयी जांच की पूष्टि करते हुए यह उल्लिखित किया गया है कि अभियुक्त सुरेन्द्र सिंह द्वारा दिल्ली, हरियाणा के कई अस्तित्वहीन फर्मों से बिना वास्तविक व्यापार के ही खरीद दिखाकर आई०टी०सी० का लान लिया गया था। अभियुक्त द्वारा मुख्य व्यापार मैनपावर सप्लाई का दर्शाया गया है जबकि उसके द्वारा आयरन, प्लाईवुड, फर्नीचर पार्टस इत्यादि की फर्जी खरीद प्रदर्शित की जा रही थी तथा बिना माल की प्राप्ति के आई०टी०सी० का लाभ लिया जा रहा था। माल का दुलान भी कतिपय ऐसे वाहनों से दिखाया गया था जो दुपहिया वाहन थे। अभियुक्त द्वारा स्वयं भी यह स्वीकार किया गया था कि उसके द्वारा अन्य राज्यों की फर्मों से कोई माल नहीं मंगाया गया था तथा केवल बिल प्राप्त करने के माध्यम से फर्जी आई०टी०सी० का लाभ लिया गया था। संबंधित फर्जी बिल राजेश डूडानी नामक व्यक्ति द्वारा दिये गये थे।
उक्त प्रकरण की जाँच एवं विवेचना केन्द्रीयकृत आसूचना इकाई राज्य कर उत्तराखण्ड द्वारा की गई थी. जिसमें श्री धर्मेन्द्र राज चौहान डिप्टी कमिश्नर राज्य कर श्री विनय पाण्डे डिप्टी कमिश्नर राज्य कर श्री मनमोहन असवाल असिस्टेन्ट कमिश्नर राज्य कर, श्री टीकाराम चन्याल असिस्टेन्ट कमिश्नर राज्य कर तथा सुश्री ईशा राज्य कर अधिकारी शामिल रहे।