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उत्तराखंड क्रांति दल ने मनरेगा कर्मचारियों को सवेतन बहाल करने तथा उन्हें हिमाचल की तर्ज पर ग्रेड पे दिए जाने की मांग की है।
इसके अलावा यूकेडी ने आठ वर्षों से इस विभाग मे तैनात आइएएस मनीषा पंवार को भी हटाने की मांग की है।
पिछले 77 दिन से एकता विहार स्थित धरना स्थल पर बैठे मनरेगा कर्मचारियों के समर्थन में उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं ने आज धरना दिया और प्रदर्शन किया।
उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने आक्रोश जताया कि मनरेगा कर्मचारियों की जायज मांग मानने के बजाय निरंकुश सरकार ने उन को बर्खास्त कर दिया है।
उन्होंने मनरेगा कर्मचारियों को हिमाचल की तर्ज पर ग्रेड पे देने तथा उन्हें सवेतन बहाल करने की मांग की है। शिव प्रसाद सेमवाल ने आरोप लगाया कि सरकार 15 साल से नौकरी कर रहे मनरेगा कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग एजेंसी के हवाले करना चाहती है।
श्री सेमवाल ने सवाल उठाया कि आखिर अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार आठ साल से क्यों ग्रामीण विकास विभाग में ही जमी हैं !
उन्होंने कहा कि इतनी लंबे समय तक एक ही अधिकारी के एक विभाग में जमे रहने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उत्तराखंड क्रांति दल युवा मोर्चा की जिला अध्यक्ष सीमा रावत ने कहा कि मनरेगा कर्मचारियों को केंद्र सरकार के बजट से कंटीजेंसी के तहत वेतन मिलता है तथा इसके अलावा वह निर्माण कार्यों की रायल्टी से भी राज्य सरकार को अच्छा खासा मुनाफा देते हैं। इसके बावजूद सरकारी कर्मचारियों को निकालकर आउटसोर्सिंग के माध्यम से नए कर्मचारियों की तैनाती करने का षड्यंत्र कर रही है, जिसे किसी भी हाल में सफल नहीं होने दिया जाएगा।
उत्तराखंड क्रांति दल ने सरकार से मांग की है कि यदि तत्काल इस तरह का तानाशाही वाला निर्णय वापस नहीं लिया गया तो उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर कर जन आंदोलन करेंगे।
उत्तराखंड क्रांति दल के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने धरना स्थल पर जाकर मनरेगा कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया।