देहरादून। जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर आज मुख्य सचिव एसएस संधू की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई संबंधित विभागों की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इस संदर्भ में आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा ने मीडिया सेंटर में जानकारी देते बताया कि जोशीमठ में अब तक 603 घरों का चिन्हीकरण किया गया है जिनमें दरारें पाई गई हैं। इनमें से 68 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया है। 38 परिवारों को किराए के मकान में शिफ्ट किया गया है। इनको राज्य सरकार के मानकों के अनुसार किराया राशि दी जा रही है। आपदा धारा अधिनियम की धारा 33 एवं 34 के तहत लोगों का पुनर्वास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अत्यधिक रूप से क्षतिग्रस्त दो होटलों मलारी इन एवं माउंट व्यू का मेकैनिकल तरीके से ध्वस्तीकरण किया जाएगा। इसके लिए सीबीआरई की टीम को भेजा गया था जिसके द्वारा सर्वे आदि के कार्य किए गए हैं। आवास एवं शहरी विकास विभाग को जोशीमठ का मास्टर प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। toe-erosion को रोकने के लिए सुरक्षा के कार्य तत्काल शुरू किए जाएंगे। इसके लिए टेक्निकल संस्था का सहयोग लिया जाएगा। जोशीमठ नगर में पड़ी दरारों के मद्देनजर ऊर्जा निगम के साथ ही पिटकुल की टीमों को भी वहां भेजा जा रहा है।
आपदा प्रबंधन सचिव ने बताया कि राहत कार्यों के संचालन के लिए शासन स्तर पर अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी। इसी तरह से जनपद स्तर पर आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी। जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान का जो टेंडर पूर्व में 20 जनवरी को खोला जाना था उसे मौजूदा हालातों को देखते हुए अब 13 जनवरी को खोला जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक दिन रोजाना 12 बजे मुख्य सचिव जोशीमठ के संदर्भ में समीक्षा बैठक करेंगे। सचिव ने बताया कि राज्य सरकार भारत सरकार के संपर्क में बनी हुई है और सहायता मिल रही है। आवश्यकता पड़ने पर पैकेज बनाकर केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे। अभी तीन स्थानों कोटी कॉलोनी, पीपलकोटी एवं जड़ी बूटी संस्थान में लोगों के विस्थापन का निर्णय लिया गया है।