हरिद्वार शहर में कनखल थाना नशा, सट्टा, जिस्मफरोशी और अन्य धंधों का गढ माना जाता रहा है। पुलिस ने इन धंधों पर लगाम लगानी शुरु की तो माफियाओं को ये पसंद नहीं आया। लिहाजा, सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं को मोहरा बनाकर जिंदाबाद—मुर्दाबाद शुरु कर दिया गया। लेकिन धरने के पीछे का खेल पुलिस और अन्य लोगों को समझ आ गया। वहीं भाजपा के एक गुट के कुछ नेता अगुवाई कर रहे थे। वहीं दूसरे नेताओं को एकजुटता दिखाने के लिए खडा होना पडा। हालांकि पीछे से कई नेता पुलिस को इन धंधों पर पूरी तरह लगाम लगाने और इनसे जुडे खादीदारों पर कडी कार्रवाई के लिए पैरवी करते रहे। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी पुलिस से उनको रही जो अपने सरपरस्त नेता के दौर में थाना—चौकियों में धाक जमाकर अपनी सत्ता चलाते रहे। लेकिन बदलते सियासी परिदृश्य में उनकी ये धाक जाती रही।
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क्या माफिया धरने को बना रहे मोहरा
बडा सवाल ये भी है कि पिछले कुछ समय से कनखल में अवैध धंधा करने वालों पर पुलिस ने सख्ती की है। नशा माफियाओं पर शिंकजा कसा गया है तो अवैध पार्किंग और दूसरे गैरकानूनी धंधे करने वाले भी परेशान थे। इसी बीच भाजपा नेता से कथित अभद्रता की आड में माफियाओं ने मौका भुनाना चाहा। सत्ताधारी दल के एक गुट के बडे सरपरस्त जो अब तक इन्हें बचाते रहते कमजोर पडे तो इन्हें दूसरा रास्ता देखना पडा। यही कारण है कि कनखल थाने में धरने का बहाना लेना पडा। लेकिन पुलिस ने दो टूक कर दिया कि गलत काम करने वालों पर सख्ती जारी रहेगी। वहीं कई नेता और दूसरे समाजसेवी लगातार पुलिस को इन लोगों पर कार्रवाई के लिए कहते रहे। हालांकि उनकी कुछ मजबूरी भी रही कि धरने में खडा होना पडा।