कुंभ मेला पुलिस ने राज्य की ऐपण कला को किया प्रमोट,वोकल फ़ॉर लोकल की परिकल्पना हुई साकार ।

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आईजी कुंभ मेला संजय गुंज्याल

देहरादून राज्य में धीरे धीरे समापन की ओर बढ़ रहे कुंभ मेले में इस बार आईजी मेला संजय गुंज्याल ने एक और बड़ा व अहम प्रयोग किया है।कुंभ में ड्यूटी रत लोगो को राज्य की ऐपन कला से निर्मित कलश व ताम्र पात्र भेंट किये जायेंगे अभी तक उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से ये लाये जाते थे। 


       कुम्भ मेला के सुपर कॉप व बहुमुखी प्रतिभा के धनी आईजी आईजी संजय गुंज्याल ने एक नया कीर्तिमान जहाँ बैसाखी के स्नान को निर्विवाद रूप से सम्पन्न कराया वही इसकी भव्यता में अब राज्य की कला भी चार चांद लगाएगी ।प्रमुख पर्व बैसाखी के  सकुशल सम्पन होने के  पश्चात अधिकांश फोर्स को वापस भेजा  जा रहा है जहां वापसी के दौरान कुंभ बीरों के सम्मान स्वरूप आईजी संजय गुंज्याल ने  शुरुआत की है उत्तराखंड सँस्कृति ,कला और  आस्था के सांकेतिक चिन्ह की  सांकेतिक कुम्भ यानी एक  तांबे के छोटे से कलश से । इसे विशेष रूप से  तैयार किया गया है अल्मोड़ा शहर के कारीगरों  द्वारा,  इस कलश की एक और विशेषता  इसे  विशिष्ट बनाती है वो हैं कलश पर बनाई गई *उत्तराखंड सँस्कृति की पहचान ऐपण* की कलाकृति।   

         उत्तराखंड लोक कला ऐपण जो एक प्रकार से  अल्पना का ही प्रतिरूप है  एक ऐसी अल्पना एक ऐसी लोक कला, जिसका इस्तेमाल उत्तराखंड के  कुमाऊं  क्षेत्र में सदियों से जारी है।  उत्तराखंड सँस्कृति  के  हृदय में समाहित  ऐपण कलात्मक अभिव्यक्ति का भी प्रतीक है। इस लोक कला को अलग-अलग धार्मिक अवसरों के मुताबिक बनाया किया जाता है।देखने में भले ही ये ऐपण आसान से नजर आते है, लेकिन इन्हें बनाने में ग्रहों की स्थिति और धार्मिक अनुष्ठानों का खास ध्यान रखा जाता है।     कुम्भ ड्यूटी के दौरान कर्तव्य निर्वहन करने वाले  पैरामिलेट्री फोर्स पुलिस अनुषांगिक शाखाएं एवमं  कुम्भ मेला ड्यटी के दौरान कर्तव्य निर्वहन के दौरान  महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले  पुलिस बल या  कुम्भ मेले से  सम्बंधित किसी कार्य मे अपनी विशेष भूमिका निभाने  वाले जनमानस अथवा संस्था को सांकेतिक  *आस्था कलश भेंट किया जा रहा है।