देहरादून राजधानी के एसएसपी योगेंद्र रावत ने दो टूक कहा है कि मैनुअल पुलिसिंग और दुरुस्त करने की जरूरत है जनपद के समस्त राजपत्रित अधिकारियों व थाना प्रभारियो के साथ गोष्ठी आयोजित की गयी। गोष्ठी के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा जनपद में घटित अपराधों की समीक्षा की गई। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए महोदय द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में पुलिस की मैनुअल पुलिसिंग काफी कम हो गयी है तथा पुलिस किसी भी घटना के अनावरण के लिये केवल टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गयी है। पूर्व में बीट में नियुक्त प्रत्येक बीट कान्सटेबल का मुखबिर तंत्र काफी मजबूत था तथा उसे अपनी बीट में होने वाले प्रत्येक विवाद/अपराध की जानकारी होती थी, जिसका इंद्राज उसके द्वारा अपनी बीट पुस्तिका में किया जाता था। वर्तमान समय में बीट कान्सटेबल मैनुअल पुलिसिंग पर ज्यादा ध्यान न देते हुए केवल टैक्नोलाॅजी पर निर्भर हो गये हैं। बीट कर्मचारी द्वारा अन्य अपराधों को छोडकर केवल विवादों की ही बीट सूचना बीट रजिस्टर में अंकित की जा रही है। जिसके दृष्टिगत सभी अधिकारियो को निर्देशित किया कि वे अपने अधीनस्थ नियुक्त बीट कान्सटेबल की जिम्मेदारियां निर्धारित करते हुए उन्हें अपने-अपने बीट में मैनुअल पुलिसिंग के लिये प्रोत्साहित करे तथा मुखबिर तंत्र को और अधिक मजबूत करने हेतु निर्देशित करें, साथ ही ऐसे पुलिस कर्मी जिनके द्वारा महज दिखावा अथवा खानापूर्ति के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया जा रहा है, उनकी रिपोर्ट तत्काल महोदय के सम्मुख प्रेषित करे, ऐसे कर्मियो को जनपद से दुरस्त पहाड़ी जनपदों में स्थानान्तरित करने की संस्तुति की जाएगी। इसके अतिरिक्त शिकायती प्रार्थना पत्रों की समीक्षा करते हुए महोदय को अवगत कराया गया कि प्रायः एक ही व्यक्ति द्वारा विभिन्न माध्यमों से शिकायती प्रार्थना पत्र प्रेषित किए के जा रहे हैं, जो कार्यालय की अलग अलग शाखाओं में प्राप्त होने के कारण उनकी जांच अलग अलग अधिकारियों को दी जाती है, जिससे जांच में ना केवल विलंब होता है अपितु अलग-अलग अधिकारियों द्वारा की गयी जांचों से असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो रही है, इसके समाधान तथा प्रार्थना पत्रों के त्वरित निस्तारण हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा क्षेत्राधिकारी कार्यालय को एक सेन्ट्रलाइज सिस्टम बनाने के निर्देश दिए गए, जिसमें विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होने वाले शिकायती प्रार्थना पत्रों का इंद्राज किया जायेगा तथा किसी एक व्यक्ति द्वारा दिए गए अलग-अलग प्रार्थना पत्रों की जांच एक ही अधिकारी से करवाई जायेगी, जिससे कि संबंधित पीड़ित व्यक्ति के प्रार्थना पत्र की जांच त्वरित गति से निस्तारित की जा सके। साथ ही प्रार्थना पत्रो में हुई जांचो के निष्कर्ष को भी उसमे फीड करते हुए उक्त जाच रिपोर्टों का अन्य उच्चाधिकारियों से विश्लेषण करवाया जायेगा। यदि किसी जांचकर्ता द्वारा जांच के दौरान नियमित रूप से लापरवाही अथवा उदासीनता बरती जा रही हो तो विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही अमल में लायी जाएगी। इसके अतिरिक्त सभी क्षेत्राधिकारियों को माह में कम से कम एक बार तथा सम्बन्धित थाना प्रभारियों को माह में कम से कम दो बार अपने-अपने क्षेत्र मे स्थित स्पा सेन्टरों की चैकिंग करने के निर्देश दिये गये।