
उत्तराखंड: नेपाल सीमा के पास ठाणे क्राइम ब्रांच ने किया मेफेड्रोन फैक्ट्री का भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार, ₹30 लाख की ड्रग्स व उपकरण जब्त
पिथौरागढ़: ड्रग्स के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में महाराष्ट्र की ठाणे क्राइम ब्रांच ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में नेपाल सीमा के पास चल रही अवैध मेफेड्रोन (एमडी) फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है। इस छापेमारी में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और करीब ₹30 लाख की ड्रग्स, मशीनरी, रसायन और वाहन जब्त किए हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान ओम जयगोविंद गुप्ता उर्फ मोनू (उत्तराखंड), भीम यादव (नालासोपारा, महाराष्ट्र) और अमर कुमार कोहली (उत्तराखंड) के रूप में हुई है।
यह कार्रवाई कासरवडावली पुलिस स्टेशन, ठाणे में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज एक मामले की जांच के बाद की गई। शुरुआती जांच में ठाणे क्राइम ब्रांच यूनिट-5 ने दो आरोपियों विशाल सिंह और मल्लेश शेवाला को गिरफ्तार किया था, जिनके पास से 10 ग्राम एमडी पाउडर बरामद हुआ जिसकी कीमत ₹35,000 आंकी गई थी। पूछताछ में इन आरोपियों ने बताया कि यह नशीला पदार्थ उत्तराखंड से मंगवाया गया था।
इस इनपुट पर पुलिस टीम को उत्तराखंड भेजा गया, जहां 27 जून को पिथौरागढ़ के एक निर्माणाधीन फैक्ट्री पर छापा मारा गया। छापेमारी में ₹18 लाख से अधिक के ड्रग्स बनाने वाले रसायन, उपकरण और मशीनें बरामद हुईं। छापे से पहले आरोपी मौके से फरार हो गए थे और नेपाल सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन 28 जून को स्थानीय पुलिस और नेपाल सीमा सुरक्षा बल की मदद से उन्हें पकड़ लिया गया।
तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर 5 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।
पहले यूपी में चलाते थे अवैध कारोबार
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि ओम गुप्ता और अमर कोहली इससे पहले उत्तर प्रदेश में भी मेफेड्रोन बनाने के अवैध कारोबार में शामिल थे। कासरवडावली पुलिस स्टेशन में इनके खिलाफ पहले से एक एफआईआर दर्ज है और दोनों आरोपी वहां से फरार चल रहे थे।
आईजी रिदम अग्रवाल का बयान
आईजी कुमाऊं रेंज रिदम अग्रवाल ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस की सहायता से यह कार्रवाई सफल हुई है। उन्होंने बताया कि अब पूरे कुमाऊं रेंज में ड्रग्स के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा और ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड में पहली बार इस तरह की बड़ी मेफेड्रोन फैक्ट्री के भंडाफोड़ से यह स्पष्ट हो गया है कि सीमावर्ती क्षेत्र अब ड्रग माफियाओं के निशाने पर हैं। यदि स्थानीय पुलिस इंटेलिजेंस में समन्वय मजबूत हो, तो ड्रग माफियाओं के मंसूबे नाकाम किए जा सकते हैं।