देहरादून नगर निगम में चर्चाओं में रहने वाले पार्षदों के एक सिंडिकेट का जलवा जारी है। हाल ही में लॉकडाउन में राशन किट वितरण मे भी इनके नाम सुर्खियो में थे। मजे की बात ये कि कुछ पार्षदो ने ही राशन किट प्रकरण पर सवाल उठाया था। अब पार्षद गैंग के ट्रैक्टर ट्राली गिरोह पर भी पार्षद ने ही तथ्यों के साथ खुलासा किया है। नगर निगम के कुछ पार्षदों ने सिंडिकेट बना ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर में खेल कर दिया। निगम में कूड़ा उठान को लेकर किराए पर ट्रैक्टर ट्राली का इस्तेमाल होता है। पहले से इस टेंडर पर निगाह गडाये बैठे गैंग ने डमी ठेकेदार को आगे कर यह टेंडर कब्जा लिया। चौंकाने वाली बात ये है कि निगम ने 45 ट्रैक्टर ट्रॉली का अनुबंध किया था, ज्बकि संचालन 30 का ही हो रहा है।इनके फेरों में हेराफेरी की गंभीर शिकायत पर मेयर खफा हो गये है। मेयर ने मामले में जांच के आदेश देते हुये पंद्रह दिन में रिपोर्ट तलब कर ली है। चार फेरों की जगह दो ही फेरे लग रहे जबकि भुगतान चार फेरे के हिसाब से हो रहा।
नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक में सालावाला से भाजपा पार्षद भूपेंद्र कठैत ने ट्रैक्टर ट्रॉली के अगस्त के संचालन का ब्यौरा रखा। 16 अगस्त से नए ठेकेदार द्वारा कार्य शुरू किया गया। नगर निगम की ओर से 45 ट्रैक्टर ट्रॉली का अनुबंध किया गया था। पहले दिन सिर्फ 15 और अगले दिन 18 ट्रैक्टर ट्रॉली संचालित हुईं। रिकार्ड के मुताबिक 21 अगस्त को 19 जबकि 26 अगस्त को 27 ट्रैक्टर ट्रॉली चलीं। फिर 29 अगस्त को यह संख्या 29 हो गई, लेकिन तब से आज तक यह संख्या 28-29 तक सीमित है। बैठक में बताया गया कि करार की शर्तों के तहत हर रोज एक ट्रैक्टर ट्रॉली को चार फेरे लगाने होते हैं, लेकिन ठेकेदार की ओर से अधिकतम दो फेरे ही लगाए जा रहे थे, जबकि भुगतान पूरा हो रहा है। पार्षद के इस खुलासे पर मुहर तब लगी जब बैठक के समय ही मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी ने भी स्वीकार किया कि शर्तों के मुताबिक ट्रैक्टर ट्रॉली का संचालन नहीं हो रहा। उन्होंने बताया कि ट्रॉली भी मानक के अनुरूप नहीं है। इस पर महापौर सुनील उनियाला गामा ने चिंता जताते हुये नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय को जांच के आदेश दिए।
ट्रॉली मानक के अनुरूप नहीं
कार्यकारिणी बैठक में पार्षदों ने नए टेंडर के बाद संचालित ट्रैक्टर की ट्रॉली के मानक के अनुरूप नहीं होने के आरोप भी लगाए। बताया गया कि ट्रॉली छोटी है और वार्ड से कम कूड़ा उठाया जा रहा। महापौर ने सभी ट्रॉली का भौतिक परीक्षण कराने के आदेश भी दिए।
ऐसे उठाया गया था टेंडर
निगम सूत्रों के मुताबिक, ट्रैक्टर ट्रॉली का टेंडर उठाने के लिए कुछ पार्षदों ने सिंडिकेट बनाकर काम किया। जिस ठेकेदार के पहले ट्रैक्टर ट्रॉली लगे हुए थे, उससे कम कीमत नए टेंडर में अंकित की गई। इसके लिए इन पार्षदों ने एक डमी ठेकेदार खड़ा कर उसके नाम से टेंडर भरा।
स्वच्छता मसला इसी में घपला
देश के प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री सफाई व्यवस्था पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुये व्यवस्था लगातार दुरस्त करने की नसीहत देते रहे है। पर नगर निगम के पार्षदो के रडार पर एक बार फिर से स्वच्छता ही आई है पहले मोहल्ला स्वच्छता समीति अब ट्रैक्ट्र्रर ट्राली का खेल।
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