देहरादून कोरोना संक्रमण काल मे फ्रंट लाइन वैरियर पुलिस सिर्फ ड्यूटी पर ही नही है बल्कि समाज मे आपसी सामजंस्य से मदद कर मिसाल भी पेश कर रही है। इसीका उदाहरण बने है इंस्पेक्टर राजेश शाह सोशल मीडिया के जरिये शाह ने पूरा वाक्या भी शेयर किया है।
साथियों, 5 अगस्त 2020 को मैंने अपना ब्लड सैंपल दिया था जिस का रिजल्ट 7 अगस्त को आया था और मैं कोरोना पॉजिटिव निकला था। इसके बाद पूरे परिवार का चेकअप कराने पर मेरी पत्नी और बेटी भी पॉजिटिव पाई गई थी, लेकिन बेटा नेगेटिव आया था। परंतु हम लोगों ने पूरे परिवार को कोरोना पोजीटिव मानते हुए दिनचर्या तय की। 22 अगस्त को दोबारा checkup में हम सब लोग negative हो गए थे। जिंदगी धीरे धीरे पटरी पर लौट आयी थी।
आज किसी परिचित के जरिये खबर मिली कि दून अस्पताल में एक व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित है और काफी गंभीर स्थिति में है। वहां के चिकित्सकों द्वारा उक्त मरीज को AB पॉजिटिव व्यक्ति से प्लाज्मा डोनेट करवाने की बात कही, जो 1 माह पूर्व कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हुआ हो। मेरे द्वारा इस पर फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से अपने परिचितों को भी अवगत कराया परंतु ऐसा कोई व्यक्ति उपलब्ध नहीं हो सका।
उक्त मरीज के परिजनों द्वारा लगातार मुझसे संपर्क कर तत्काल देहरादून पहुंचने एवं प्लाज्मा डोनेट करने का अनुरोध किया जा रहा था। इस पर मेरे द्वारा उक्त बात को अपने उच्चाधिकारियों के संज्ञान में डालकर और अनुमति लेकर दून अस्पताल में जाकर उक्त संक्रमित व्यक्ति को प्लाज्मा डोनेट किया गया। इस प्रक्रिया में करीब 3 घंटे का समय लगा, जिसमे 1 घंटा ब्लड की जांच में और 2 घंटे प्लाज़मा डोनेट करने में लगे। उसके बाद बिना किसी परेशानी के मैं वापस रुड़की आ गया।
इस अनुभवों को लिखने का उद्देश्य अपने रक्तदान का महत्व बताना नहीं है वरन यह बताना है कि किसी जरूरतमंद को रक्त अथवा प्लाज्मा देने से आपको कोई नुकसान नहीं होगा वल्कि आपको सुखद और संतुष्टि का अनुभव होगा। आपकी इस पहल से किसी की जान बच सकती है। धन्यवाद।