सहस्त्रताल ट्रेक: एसडीआरएफ की अदम्य साहस और सेवा की गाथा
उत्तराखंड की वादियों में स्थित सहस्त्रताल ट्रेक पर 22 सदस्यीय ट्रैकिंग दल का सफर एक दु:स्वप्न में तब्दील हो गया, जब 29 मई 2024 को खराब मौसम और रास्ता भटक जाने के कारण चार सदस्यों की मृत्यु हो गई और अन्य सदस्य बर्फीले ट्रेक में फंस गए। जैसे ही यह सूचना उत्तरकाशी प्रशासन को मिली, उन्होंने तुरंत सेनानायक एसडीआरएफ श्री मणिकांत मिश्रा को सूचित किया। उन्होंने तुरंत एसडीआरएफ की सभी हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीमों को अलर्ट किया और उन्हें तैयारी दशा में रहने के निर्देश दिए।
रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत
05 जून 2024 को प्रातः 7:00 बजे, एसडीआरएफ की 06 सदस्यीय हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीम उजैली, उत्तरकाशी से रवाना हुई। इस टीम में ए.एस.आई. पंकज घिल्डियाल, ए.एस.आई विजेन्द्र कुड़ियाल, हे0का0 वीरेन्द्र पंवार, का0 दिनेश सिंह, और का0 धजवीर सिंह शामिल थे। सहस्त्रधारा हेलीपैड पर मौजूद सेनानायक एसडीआरएफ श्री मणिकांत मिश्रा ने विस्तृत ब्रीफिंग के बाद 03 सदस्यीय हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीम (मुख्य आरक्षी रवि चौहान, मुख्य आरक्षी मनोज जोशी, आरक्षी प्रवीण सिंह) को हैली के माध्यम से सहस्त्रताल ट्रेक के लिए रवाना किया।
जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष
एसडीआरएफ टीम ने अन्य बचाव इकाइयों के साथ मिलकर संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और सहस्त्रताल ट्रेक में फंसे 13 ट्रेकर्स को सकुशल रेस्क्यू किया। इनमें से 08 ट्रेकर्स को सहस्त्रधारा हेलीपैड और 03 को भटवाड़ी में सुरक्षित पहुँचाया गया। दो ट्रेकर्स स्थानीय गाइड के साथ पैदल मार्ग से बेस कैम्प कुश कल्याण से सिल्ला गांव पहुंचे, जिन्हें एम्बुलेंस द्वारा भटवाड़ी पहुंचाया गया।
साहसिक अभियान
रेस्क्यू टीम के जवान मुख्य आरक्षी मनोज जोशी, मुख्य आरक्षी रवि चौहान, और आरक्षी प्रवीण सिंह ने पैदल मार्ग से सहस्त्रताल ट्रेक पर पहुंचकर शेष 04 ट्रेकर्स के शवों तक पहुंचे। लेकिन मौसम की प्रतिकूलता के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को विराम देना पड़ा। टीम ने अत्यधिक विषम परिस्थितियों और बर्फबारी के बीच सुरक्षित स्थान का चयन कर कैंप स्थापित किया। सेनानायक महोदय के निर्देशानुसार कंट्रोल रूम द्वारा रात भर सैटेलाइट फोन के माध्यम से टीम की कुशलता की जानकारी ली जाती रही।
अंतिम कार्यवाही
06 जून को प्रातः मौसम अनुकूल होने पर, रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा चलाया गया और हैली के माध्यम से कुल 04 शवों को भटवाड़ी हैलीपैड पहुँचाया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन के समापन के बाद सभी रेस्क्यू टीमें वापस आ गईं।
त्रासदी में वीरता
एसडीआरएफ की अदम्य साहस और सेवा ने सहस्त्रताल की इस भयंकर विपदा में भी मानवता की जीत को साबित किया। यह कहानी सिर्फ एक रेस्क्यू ऑपरेशन की नहीं, बल्कि मानवता, साहस और सेवा की एक मिसाल है। एसडीआरएफ की टीमें न केवल अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं, बल्कि संकट में फंसे लोगों के लिए एक जीवनरेखा बन जाती हैं। इस कठिन और चुनौतीपूर्ण अभियान ने यह साबित कर दिया कि विपरीत परिस्थितियों में भी एसडीआरएफ के जवान अपने कर्तव्यों का निर्वाह निष्ठा और समर्पण के साथ करते हैं।