जमीन रजिस्ट्री में 12 साल का रिकॉर्ड अनिवार्य नहीं, नहीं, विरोध विरोध के बाद डीएम का फैसला
फिलहाल वैकल्पिक रहेंगे 12 साल के दस्तावेज, अधिवक्ताओं की हड़ताल समाप्त, रजिस्ट्री पंजीकरण के लिए 12 साल के रिकॉर्ड और खतौनी अपलोड करने के विरोध में ठप किया था काम
देहरादून अधिवक्ताओं के भारी विरोध के बाद डीएम ने जमीन रजिस्ट्री पंजीकरण के लिए खतौनी अपलोड करने और 12 साल का रिकॉर्ड देने की व्यवस्था को फिलहाल वैकल्पिक करने का फैसला किया है
अधिवक्ताओं से बातचीत के बाद डीएम ने यह निर्णय लिया। हालांकि, उनका कहना है कि जल्द नई व्यवस्था बनाकर इसका पालन कराया जाएगा
जिलाधिकारी सोनिका ने जनपद देहरादून में जमीनों की धोखाधड़ी रोकने के लिए दिए थे आदेश
बता दें कि देहरादून में जमीन खरीद के नाम पर धोखाधड़ी और विवाद रोकने लिए डीएम सोनिका ने रजिस्ट्री पंजीकरण के लिए 12 साल का रिकॉर्ड और खतौनी
अपलोड करने के आदेश दिए थे। इसके तहत सभी उप निबंधकों को किसी भी जमीन या भवन की रजिस्ट्री से पहले सेल डीड़ में ’12 साला’ या
स्वामित्व के तीन लेखपत्रों का विवरण दर्ज करना था। उनका कहना था कि संपत्ति की रजिस्ट्री के समय खरीदार और विक्रेता के मध्यम लिखे जाने वाले विक्रय विलेख (सेल डीड) की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें संपत्ति के स्वामित्व का सही वर्णन देने से विवाद की समस्या का काफी हद तक समाधान होगा।
लेकिन, बार एसोसिएशन ने इसके विरोध में तहसील में तालाबंदी कर दो दिन कामकाज ठप कर दिया था। ऐसे में लोगों को परेशानी हो रही थी।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा कहते हैं कि नया नियम लागू करने में कोई समस्या नहीं है लेकिन पहले व्यवस्था बननी चाहिए। अधिवक्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाए। रिकॉर्ड रूम में कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। बस्तों को संख्या भी कम है। रजिस्ट्री करते समय 12 साल की डिटेल तो दो ही जाती है लेकिन नई व्यवस्था में 12 साल के दस्तावेज लगाने होंगे और उसे प्रमाणित करने की जिम्मेदारी अधिवक्ता को होगी। इससे रजिस्ट्री विभाग बचा रहेगा और अधिवक्ता हर प्रकार से जिम्मेदार होगा। जबकि, दस्तावेज प्रमाणित करने की जिम्मेदारी रजिस्ट्री विभाग का है। ट्रायल के बाद नई व्यवस्था लागू होनी चाहिए।
मुद्दे पर डीएम के साथ वकीलों की वार्ता हुई। इसमें 12 साल के रिकॉर्ड जमा करने का निर्णय लिया गया।
इसलिए ‘बारह साला’ की जरूरत
अचल संपत्ति खरीदते समय जमीन पिछली जानकारी जुटा जाती है। पता लगाया जाता है कि संपत्ति विवादित तो नहीं है। उस पर कोई लोन तो नहीं है। यह संपत्ति, बंधक या पट्टे पर तो नहीं है। अचल संपत्ति में कोई बदलाव तो नहीं हुआ है। भूमि, खेत का कोई भाग बिका तो नहीं है। बिक्री पहली बार होने जा रही है या पहले कभी विकी है। क्या खरीदार उसे फिर बेच रहा है। इन्हीं विवादों से बचने के लिए संपत्ति की जांच बारह साला प्रमाणपत्र के जरिये की जाती है। चार साला/ भार मुक्त एक ऐसा प्रमाण पत्र है जो कि रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 57 और की शर्त को फिलहाल वैकल्पिक करने रजिस्ट्रेशन] मैन्युअल नियम 327-528 के तहत संबंधित संपत्ति के संबंध में रजिस्ट्री कार्यालय से जारी होता है। इसमें संपत्ति के भार मुक्त होने की जानकारी होती है।