प्रोटम स्पीकर बने बंशीधर भगत

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उत्तराखंड राज्य में चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो गई है भाजपा संगठन दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज होने जा रही है। उत्तराखंड की नवगठित विधानसभा के लिए प्रोटेम स्पीकर को चुन लिया गया है। इस संबंध में विधानसभा की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है जारी किए गए आदेश के अनुसार पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत को अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया है। जिसे अगले कुछ दिनों में राज्यपाल शपथ दिलाएंगे।

दरअसल, उत्तराखंड राज्य के लिए अगले मुख्यमंत्री के नाम का चयन अभी तक नहीं हो पाया है ऐसे में भाजपा संगठन इस जद्दोजहद में जुटा हुआ है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसी बीच नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत को अस्थाई अध्यक्ष नामित कर दिया गया है। लिहाजा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण के बाद नवनिर्वाचित सभी विधायकों को अस्थाई अध्यक्ष बंशीधर भगत शपथ दिलाएंगे। इससे पहले अगले कुछ दिनों में राज्यपाल नवनिर्वाचित अस्थाई अध्यक्ष बंशीधर भगत को शपथ दिलाएंगे।

अनुच्छेद 180(1) के तहत राज्यपाल द्वारा भाजपा के सातवीं बार के विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है जिसके लिए राज्यपाल द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है|कुछ दिनों में प्रोटेम स्पीकर को राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाई जाएगी|आपको बता दें कि अनुच्छेद 188 के तहत प्रोटेम स्पीकर द्वारा विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाती है। बंशीधर भगत उत्तराखंड राज्य के छठवें प्रोटेम स्पीकर होंगे, इससे पूर्व 2017 में स्वर्गीय हरबंस कपूर द्वारा पांचवें प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली गई थी।
बताते चलें क‍ि जब तक नई विधानसभा द्वारा नए अध्यक्ष का निर्वाचन नहीं कर लिया जाता, तब तक विधानसभा के अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए संविधान के अनुच्छेद-180(1) के अनुसार राज्यपाल द्वारा कार्यवाहक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) की नियुक्ति की जाती है। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद-188 के प्राविधान के अनुसार नव निर्वाचित सदस्यों को सदन में स्थान ग्रहण करने से पूर्व राज्यपाल या उनके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेना आवश्यक होता है।

बंशीधर भगत अब तक सात बार विधायक बन चुके हैं। वर्ष 1991 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में नैनीताल से विधायक बने। फिर 1993 व 1996 में तीसरी बार नैनीताल के विधायक बने। इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री, पर्वतीय विकास मंत्री, वन राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला। वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद वह उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री रहे।वर्ष 2007 में हल्द्वानी विधानसभा से वह चौथी बार विधायक बने। उत्तराखंड सरकार में उन्हें वन और परिवहन मंत्री बनाया गया। इसके बाद 2012 में परीसिमन कालाढूंगी विधानसभा से उन्होंने फिर विजय प्राप्त की। फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में छठी जीत दर्ज की। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उन्होंने सातवी बार कालाढूंगी से इस बार भी जीत दर्ज की है।