निजी औद्योगिक आस्थानों/क्षेत्रों की स्थापना हेतु नीति-2023 में संशोधन
निजी औद्योगिक आस्थानों/क्षेत्रों की स्थापना हेतु नीति-2023 को सुगम एवं प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये नीति के कतिपय प्राविधानों में संशोधन प्रस्तावित किया गया है, जिसकी निम्नलिखित विशेषताएँ है :-
निजी औद्योगिक आस्थान के गठन / अनुमोदन हेतु पूर्व में 2 चरण निर्धारित थे, जिसे सरलीकृत करते हुए, 01 चरण में, सीडा मानकों के अनुसार ले-आउट प्लान एवं अन्य निर्धारित अभिलेखो सहित सिंगल विन्डो पोर्टल के माध्यम से राज्य प्राधिकृत समिति से सैद्धांतिक स्वीकृति उपरांत पक्ष प्रक्रिया अभिसूचित की जायेगी।
मूल नीति में स्वामित्व परिवर्तन करने की प्रक्रिया का कोई उल्लेख नहीं है, जबकि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है कि निजी औद्योगिक आस्थान अधिसूचित होने के उपरान्त विकासकर्ता / निवेशक इसे संचालित करना नहीं चाहता हो अथवा किसी कारण से नहीं कर पा रहा हो। अतः मूल नीति में संशोधन करते हुये इसके लिये प्राविधान प्रस्तावित किया गया है।
निजी औद्योगिक आस्थान/पार्क विकासकर्ता द्वारा यदि न्यूनतम 80 प्रतिशत भूमि अर्जित कर ली जाती है और शेष भूमि जिसे अर्जित किया जाना अनिवार्य है, को प्राप्त करने में यदि कोई बाधा उत्पन्न होती है तो सिडकुल द्वारा शेष भूमि के मूल्य के बराबर विकासकर्ता से बैंक गारंटी प्राप्त करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से भूमि अधिग्रहीत की जा सकेगी। यह अधिग्रहीत भूमि विकासकर्ता को लीज पर प्रदान की जायेगी।
मूल नीति में भूखण्ड विक्रय से अर्जित होने वाली आय के सम्बंध में कोई उल्लेख नहीं है। वर्तमान संशोधन में उक्त से प्राप्त कुल धनराशि का 70 प्रतिशत सिडकुल द्वारा संचालित एक एस्को एकाउण्ट में जमा किया जायेगा, जिसका उपयोग वरीयता कम में आस्थान की अवस्थापना सुविधाओं का विकास, अर्जित भूमि की देनदारियां, राजकीय देयकों का भुगतान, विकासकर्ता / निवेशक / प्रवर्तक का लाभांश के रूप में आहरण किया जा सकेगा।
उत्तराखण्ड सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति, 2023
एमएसएमई क्षेत्र के समावेशी विकास, अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के दृष्टिगत वर्तमान परिदृश्य और अनुमानित भविष्य के अनुरूप रोजगार सृजन एवं स्वरोजगार हेतु राज्य सरकार द्वारा लायी जा रही नयी उत्तराखण्ड सूक्ष्म, लघु एव मध्यम उद्यम नीति-2023 की निम्न विशेषताएँ हैं :-
• वित्तीय प्रोत्साहनों की अनुमन्यता हेतु प्रदेश के जनपदों को पूर्व एम०एस०एम०ई० नीति, 2015 में 5 श्रेणियों में विभक्त किया गया था। वर्तमान नीति में चार श्रेणियों ए. बी, सी, डी में वर्गीकृत किया गया है।
• योजना अवधि में प्रदेश में 50 क्लस्टर विकसित किये जायेंगे ।
पूँजीगत उपादान के रूप में एम०एस०एम०ई० को श्रेणीवार श्रेणी-ए के जनपदों हेतु रू0 50.00 लाख से रू0 4.00 करोड़ तक श्रेणी-बी हेतु रू0 40.00 लाख से रू0 3. 100 करोड़ तक, श्रेणी-सी हेतु रू0 30.00 लाख से रू० 2.00 करोड़ तक, श्रेणी-डी हेतु रू0 20.00 लाख से रू0 1.50 करोड तक उपादान सहायता प्रदान की जायेगी।
नीति के अंतर्गत “प्राथमिकता श्रेणी” एवं “अति-प्राथमिकता श्रेणी” के विनिर्माणक उद्यम के रूप में चिन्हित उद्यमों की स्थापना पर 5/10 प्रतिशत अतिरिक्त पूंजीगत उपादान देय होगा, के साथ ही नयी एंकर (Anchor) इकाई एवं न्यूनतम 7 सहायक (Ancillary) इकाईयों तथा SC / ST / महिला / दिव्यांग के स्वामित्व वाली इकाईयों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त पूंजीगत उपादान देय होगा ।