पुलिस जवानों ने विरोध स्वरूप पहना काला मास्क ग्रेड पे के मामले में निर्णय न होने से है नाराज़

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सीएम तीरथ के द्वारा 19 अप्रैल को किया गया ट्वीट

देहरादून उत्तराखंड पुलिस के जवानों के ग्रेड पे में हुई कटौती के मामले में पुलिस जवानों का सब्र अब टूटने लगा है हालांकि पुलिस मुख्यालय स्तर पर पहले ही इस विषय मे एक प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। उत्तराखंड में पुलिस जवानों के आंदोलन का ये दूसरा दौर माना जा रहा है। इससे पहले जवानो ने विरोध दर्ज कराते हुये कई वर्ष पहले काली फीती बांधते हुये विरोध दर्ज कराया था।आज कई वर्षों बाद काली फीती को काले मास्क की शक्ल देते हुये विरोध दर्ज कराना शुरु कर दिया गया है। वजह  प्रमोशन नहीं होने पर मिलने वाले ग्रेड पे में भी भारी कटौती कर दी गई है। कांस्टेबल को 20 साल की सेवा करने के बाद 4600 नहीं बल्कि 2800 रुपये का ग्रेड पे ही दिया जाएगा।।

पुलिसकर्मियों के विरोध व समस्या को देखते हुये सीएम ने मामले के निस्तारण के लिये कमेटी का गठन कर दिया था लेकिन अभी तक कमेटी ने क्या निर्णय लिया और कल निकला ये स्पष्ट नही हो सका है।  

ऐसे समझें ग्रेड वेतनमान को

कांस्टेबल को 10 साल की सेवा करने पर हेड कॉस्टेबल रैंक का ग्रेड पे दिया जाता है।

कांस्टेबल को 20 साल की सेवा करने पर सब इंस्पेक्टर रैंक का ग्रेड पे दिया जाता है।

कांस्टेबल को 30 साल की सेवा करने पर इंस्पेक्टर रैंक स्तर का ग्रेड पे मिलता है।

पुलिस विभाग में कांस्टेबल के प्रमोशन की प्रक्रिया कई वर्षों से चली आ रही है। लेकिन प्रमोशन नहीं मिलने की स्थिति में तीन पदों का ग्रेड वेतनमान अनिवार्य रूप से दिया जाता है।

नया आदेश के अनुसार उनके ग्रेड पे में 1800 रुपये ग्रेड पे तक की कटौती होगी 

सातवां वेतनमान आयोग ने

इसमें संशोधन कर स्पष्ट कर दिया था कि 10 साल के संतोषजनक कार्य पर 2400 रुपये ग्रेड पे 20 साल की सेवा करने पर 4600 रुपये ग्रेड पे और 30 साल संतोषजनक सेवा करने पर 4800 रुपये ग्रेड पे दिया जाएगा। अब  जारी लिखित आदेश में कहा गया है कि कांस्टेबल को 20 साल की संतोषजनक सेवा करने पर 2800 रुपये ग्रेड वेतनमान दिया जाएगा। सीधे तौर पर 1800 रुपये की कटौती की गई है।

मामले में जानकारी देते हुए डीजीपी अशोक कुमार

पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि मामले के लिए सीएम तीरथ ने कमेटी बना दी थी।जल्द ही मामले में पैरवी करते हुए उचित समाधान जवानों का कराया जाएगा।जवानों की मांग जायज़ है।