आईजी रेंज गढवाल के सरकारी वाहन का इस्तेमाल कर हुई थी लूट
देहरादून आखिरकार कार्रवाई का समय आ ही गया देहरादून में हुई और पूरे देश को हिला देने वाली घटना में जांच अधिकारी एसपी देहात ने रिपोर्ट फाइनल कर कार्रवाई के लिये सौंप दी है। इस फाइल का अध्धयन पूरा हो गया जिसे कार्रवाई के लिये आगे भेजा जा रहा है। जांच में दरोगा सिपाही दोषी पाए गये है ये नौकरी से बर्खास्त हो सकते है। लोकसभा चुनाव में बीते वर्ष मतदान से ठीक एक दिन पहले दर्ज हुए इस मुकदमे ने सबको हिलाकर रख दिया था। आपको बताते चलें कि 4 अप्रैल को आईजी गढ़वाल की आधिकारिक कार में मौजूद पुलिसकर्मियों ने राजपुर रोड पर बिजनसमैन की कार रोक दी और डेढ करोड रूपये से अधिक कीमत से भरा बैग खुद को चुनावी टीम बताकर लूट लिया था। हलांकि बैग न मिलने से न तो रकम का पता चला न बैग का ही। घटना के कुछ दिन बाद जब बिजनसमैन ने इनकम टैक्स विभाग और पुलिस से अपने पैसों की जानकारी लेने के लिए संपर्क किया तो उन्हें पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है और शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने कहा कि पहली नजर में यह सामने आता है कि प्रॉपर्टी डीलर अनुपम शर्मा जिसने आधे घंटे पहले ही बिजनसमैन को पैसे दिए थे, वह आरोपियों से मिला हुआ था।
आरोपियों की पहचान
अनुपम और तीन अज्ञात युवकों के खिलाफ आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने आरोपियों की पहचान सब इंस्पेक्टर दिनेश सिंह नेगी, कॉन्स्टेबल हिमांशू और आईजी गढ़वाल के ड्राइवर मनोज के रूप में की। आईजी गढवाल रेंज की ये सरकारी गाडी थी और सारा स्टाफ भी आईजी गढवाल दफ्तर का ही था।घटना के बाद जिले से लेकर पुलिस मुख्यालय औऱ शासन में यही चर्चा रही की कुछ बडा एक्शन भी होगा लेकिन ऐसा नही हुआ।
न मिला बैग ने पता चला कहाँ है पैसा
मामले में तत्कालीन एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुये जांच कर निष्कर्ष पर पंहुचकर मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस के लिये सफेद वाहन स्कार्पियो का पता लगाना भी चुनौती था। एसपी सिटी श्वेता चौबे की गहन जांच रिपोर्ट सीधे तत्कालीन एसएसपी निवेदिता के पास पंहुची जिसे बेहद गोपनीय रखते हुये सीधे मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को निलंबित कर दिया गया था। फिर न जाने क्या दबाव बना की मामला सीधे एसटीएफ को जांच के लिये ट्रांसफर कर दिया गया