भारतीय परंपराओं की धज्जियां उड़ाता दून क्लब
राजधानी देहरादून का दून क्लब लिमिटेड यूं तो अपनी शानो शौकत और हाई प्रोफाइल लोगो के लिए हीजाना जाता है लेकिन इन दिनों दून क्लब भारतीय परंपराओं की धज्जियां उड़ाने के लिए सुर्खियों में है। सुर्ख़ियों में रहने की वजह जान कर आप भी शायद हैरान हो जायेंगे।
ख़बर है कि दून क्लब लिमिटेड में एंट्री के लिए सदस्यों और गैर सदस्यों के लिए अंग्रेजो के शासनकाल से कुछ कायदे कानून चले आ रहे हैं जिनके मुताबिक़ दून क्लब में एंट्री के लिए बाकायदा एक ड्रेस कोड लागू किया हुआ है और सभी सदस्यों और पदाधिकारियों को इसी के मुताबिक चलना होता है जिसमें बिना पेंट–शर्ट और जूतों के दून क्लब में एंट्री नहीं की जा सकती है इतना ही नहीं राउंड नेक टी–शर्ट के साथ भी दून क्लब में प्रवेश कर पाना बेहद मुश्किल है।
इस पूरी कहानी में ट्विस्ट तब आ गया जब दून क्लब लिमिटेड के इन्हीं ब्रिटिशकाल के कायदे कानूनों को चुनौती देने के लिए 9 बार के उत्तराखंड बार एसोसिऐशन के अध्यक्ष रहे मनमोहन कंडवाल भारतीय परिधान लुंगी–कुर्ता और चप्पलों में सदस्यता फॉर्म लेने जा पहुंचे जिसके चलते दून क्लब के सभी पदाधिकारी सकते में आ गए।
इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने कहा कि 1901 से बने इस अंग्रेज़ी कानून को दून क्लब ने अभी तक लागू किया हुआ है जबकि धोती–कुर्ता ये भारतीय परंपराओं और सनातन धर्म की वेश–भूषाओं का हिस्सा हैं।
दून क्लब के कायदे कानूनों पर सवाल उठता देख दून क्लब लिमिटेड के अध्यक्ष सुनीत मेहरा ने अपनी सफाई में कहा है कि दून क्लब के नियमों में वक्त–वक्त पर बदलाव होते रहते हैं ऐसे में दून क्लब के ड्रेस कोड को लेकर पहली बार किसी ने अपनी आपत्ति जताई है इसको लेकर दून क्लब हाउस की बैठक में ये मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा और इस पर विचार किया जाएगा।