
देहरादून |
उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को आईपीएस अधिकारियों की बहुप्रतीक्षित तबादला सूची जारी करते हुए कई अहम पदों पर नई तैनातियों के आदेश जारी कर दिए। दिलचस्प बात यह रही कि यह सूची आधिकारिक रूप से जारी होने से पहले ही चर्चाओं में आ गई थी।
गृह विभाग की ओर से जारी तबादला सूची पर यदि बारीकी से नजर डाली जाए तो यह साफ हो जाता है कि सरकार ने पहले से ही ‘हेवीवेट’ रहे आईजी नीलेश आनंद भरने पर अपना भरोसा और मजबूत किया है। उन्हें राज्य के सबसे बड़े और रणनीतिक रूप से अहम विभाग पीएसी (प्रांतीय आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी) की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
गौरतलब है कि आईजी नीलेश आनंद के पास पहले से ही एसटीएफ सहित पांच अहम अनुभागों की जिम्मेदारी थी। ऐसे में पीएसी जैसे बड़े बल की कमान सौंपे जाने को सरकार का उन पर विशेष विश्वास माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कई आईपीएस अधिकारी ऐसे भी हैं, जिनके पास एक या दो अनुभागों की ही जिम्मेदारी है, जिससे यह अंतर और अधिक स्पष्ट हो जाता है।
तबादला सूची के बाद से ही पावर कॉरिडोर में इस फैसले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि यह सरकार का विशेषाधिकार है कि किस अधिकारी को कब और कहां तैनाती दी जाए, लेकिन मौजूदा हालात में यह कहना गलत नहीं होगा कि करीब आधा दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों के बीच नीलेश आनंद भरने सबसे प्रभावशाली और ताकतवर आईपीएस अफसर के रूप में उभरकर सामने आए हैं।
इस तबादला सूची में कुमाऊं मंडल की भूमिका को भी बेहद अहम माना जा रहा है। इससे जुड़े कई दिनों से चल रहे एक घटनाक्रम पर कल पाठकों के लिए एक अलग से विश्लेषणात्मक खबर प्रकाशित की जाएगी।

