
देहरादून में पुलिस महकमे की मेडल सूची जारी, ‘काम पहले’ की नीति पर डीजीपी का जोर – अंकिता भंडारी प्रकरण में बेहतरीन काम के लिए श्वेता चौबे सहित टीम सम्मानित

देहरादून। उत्तराखंड पुलिस महकमे में सराहनीय सेवा के लिए इस वर्ष की मेडल सूची जारी कर दी गई है। सूची को देखकर साफ झलकता है कि पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने “काम को वरीयता” देने का सिद्धांत अपनाया है। इसमें ऐसे अधिकारी शामिल किए गए हैं, जिन्होंने कठिन हालात में भी कर्तव्यनिष्ठा और साहस का उदाहरण पेश किया।

सबसे खास नाम है आईपीएस श्वेता चौबे का, जो उस समय पौड़ी जिले की एसएसपी थीं, जब राज्य में चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड सामने आया था। उस चुनौतीपूर्ण समय में उन्हें तत्काल तैनात किया गया और उन्होंने न केवल कानून-व्यवस्था को मजबूती से संभाला, बल्कि केस को कानूनी अंजाम तक पहुंचाने के लिए बेहतरीन रणनीति अपनाई। आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया, सभी मुख्य गवाहों और अहम सबूतों को कोर्ट में मजबूती से पेश किया गया। नतीजा—अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

महिला सुरक्षा को लेकर भी श्वेता चौबे के प्रयास उल्लेखनीय रहे। उन्होंने ‘ऑपरेशन पिंक’ को मिशन मोड में लॉन्च कर महिलाओं की सुरक्षा के लिए पिंक पुलिस की तैनाती की, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला। अंकिता प्रकरण में काम करने वाली उनकी टीम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले भी सम्मानित कर चुके हैं।
इस सूची में एडिशनल एसपी शेखर सुयाल और इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह खोलिया का नाम भी शामिल है, जिन्होंने अंकिता केस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्वेता चौबे की कार्यशैली की खासियत है कि वे हर पोस्टिंग पर टीम को साथ लेकर आगे बढ़ती हैं, और समय-समय पर इसके नतीजे भी सामने आते रहे हैं।
इस मेडल सूची के जरिए पुलिस महकमे ने एक बार फिर संदेश दिया है—सम्मान उन्हीं को, जो ड्यूटी को जुनून और ईमानदारी के साथ निभाते हैं।