देहरादून ऊर्जा प्रदेश की राजधानी की सड़कों तिराहे चौराहों पर अँधेरे का राज है। नो पॉलिथीन ,स्वच्छ दून सुंदर दून जैसे बडे बड़े नारों व दावों का बखान करने वाले नगर निगम स्ट्रीट लाइट जलाने में ही नाकाम साबित हो रहा है। हालात ये है कि सचिवालय पुलिस मुख्यालय जैसे वीवीआईपी क्षेत्र ही स्ट्रीट लाइटों को तरस रहे है ऐसे में शहर के अन्य वार्ड़ों व मोहल्लों की स्थिति को बखूबी समझा जा सकता है। जिलाधिकारी सोनिका ने नाराजगी व्यक्त करते हुये नगर आयुक्त को कडी भाषा में पत्र लिखते हुये बिना देर किये व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिये है। दरअसल पूर्व नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के समय स्ट्रीट लाइट जैसी सामान्य मामलों पर कभी भी जिलाधिकारी या वरिष्ठ अधिकारी को निर्देश नही देने पडे ।
राजधानी में नगर निगम का दायरा 100 वार्डों का हो चुका है शहर से लेकर ग्रामीण भू भाग का बडा हिस्सा अब नगर निगम की सेवा के क्षेत्र में है। राजधानी के नगर आयुक्त मनुज गोयल के निर्देश व आदेशों का असर उनके मातहतों पर नही दिख रहा है। कई पार्षद पूर्व में भी शिकायत दर्ज करा चुके है लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है।लगातार क्षेत्र भ्रमण पर रहने वाली व मीडिया की शिकायत के आधार पर जिलाधिकारी ने नगर आयुक्त को पत्र लिखते हुये व्यवस्था सुधारने की मांग की है। जानकारों की मानें तो व्यवस्था दुरस्त न होने पर हाईडिल यानि ऊर्जा विभाग से मदद लेकर स्थिति को सुधारा जा सकता है। वरिष्ठ पार्षद विनय कोहली कहते है कि मौजूदा नगर निगम के कामकाज से बेहतर तो उत्तर प्रदेश के शासन काल की नगर पालिका की थी। अधिकारियों की फौज लेकिन काम सिफर ही हो रहा है।डीएम सोनिका कहती है कि राजधानी में पथ प्रकाश सबसे अहम व्यवस्था है इसमें लापरवाही नही बर्दाश्त की जायेगी नगर निगम को पत्र लिखकर व्यवस्था ठीक करने को कहा गया है जल्द ही निरीक्षण कितना काम हुआ इसका जायजा भी लिया जायेगा।