देहरादून सरकार नौकरशाही में समय समय पर फेरबदल करती है ये रूटीन प्रक्रिया है। ये बात दीगर है कि हर बार ट्रांसफर लिस्ट से एक न एक ब़ड़ा झटका नौकरशाहों को जरूर लगता है। किसी की मुराद पूरी होती है तो कोई रूखसत कर दिया जाता है। इन सबके बीच शनिवार को एकाएक चौंकाने वाले नही हिलाकर रख देने वाले अंदाज में आये राजधानी के डीएम एसएसपी की रवानगी का पैगाम सबसे ज्यादा सुर्खियो में है। चर्चाओ में सबके अपने अपने तर्क है ठोस नतीजों तक कोई नही पंहुच पा रहा है कि आखिर अवकाश के दिन मुख्यमंत्री के अल्मोड़ा टेक ऑफ होते समय ही ये आदेश आखिर क्यों सभी के सामने आया। शुरुआती दो बड़ी तबादला लिस्ट के बाद एकाएक सिर्फ दून डीएम एसएसपी के तबादले की आखिर ऐसी क्या वजह हुई कि अवकाश के दिन ये रुखसत कर दिये गये।
शासन से लेकर डीएम कप्तान में कब किसे कहाँ क्या जिम्मेदारी देनी है किस समय देनी है ये सरकार का अधिकार है इसके लिये दिन तिथि वार मायने नही रखता है। लेकिन दून जिले के डीएम कप्तान को हटाये जाने की खबर पूरे प्रदेश में आम और खास में सबसे ज्यादा चर्चा में है। राजधानी के कप्तान रहे जन्मेजय खंडूरी को पीएसी पुलिस मुख्यालय दफ्तर की जिम्मेदारी दी गई है वहीं राजधानी के डीएम पद से हटाए गये आईएएस राजेश कुमार फिलहाल वेटिंग में रखे गये है। इससे और भी इन तबादलों की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जितनी मुंह उतनी बातों की तर्ज पर चल रही चर्चाओं के बीच ब्यूरोक्रेसी में सबसे ज्यादा बीते दिनों एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के एयरपोर्ट से बाहर आते समय प्रोटोकॉल में खामी व उचित वाहन न दिये जाने की खबर को सबसे ज्यादा बल मिल रहा है। द्रौपदी मुर्मू को बाहर लाने के समय अच्छी श्रेणी का वाहन न दिया जाना व उसका खराब होना भी कारण बताया जा रहा है। मुर्मू के साथ आये केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस पर अपनी घोर आपत्ति भी दर्ज कराई थी। हलांकि ये वाहन भेजने का निर्णय एयरपोर्ट प्रबंधन का बताया जाता है चर्चायें तो ये भी है कि एयरपोर्ट प्रबंधन के कुछ अधिकारीयों पर भी गाज गिर सकती है। जानकारों की मानें तो इस मामले मे दिल्ली की नाराजगी व कई शिकायतें लगातार बार बार चर्चाओ में होना भी वजह बताया जा रहा है।