देहरादून राज्य पुलिस अफसरों के तबादलों को लेकर जारी तमाम चर्चाओं व अटकलों पर फिलहाल विराम ही लगता दिख रहा है। राज्य पुलिस में प्रमोट हुए व जिले का चार्ज मिलने की राह देख रहे अफसरों को फिलहाल इतंजार करना पड सकता है। सूत्रों की मानें तो फिलहाल तबादलों को लेकर सहमति नही बन पाई है। पुलिस मुख्यालय स्तर से शासन के बीच फिलहाल ऐसी कोई चर्चा भी नही शुरु हो पाई है। जानकारों की मानें तो वर्ष के अंत दिसंबर तक ही तबादलों जैसी कोई स्थिति बन सकती है। हलांकि सरकार का निर्णय अंतिम होगा वो जब चाहे जिसका तबादला कर दे।
चर्चाओं व सूत्रों की मानें तो पुलिस अफसरों के फिलहाल तबादले होने के हालात नही बन रहे है। दिख रहे है। पहले कोरोना संक्रमण काल फिर कुंभ मेला आयोजन ये कारण बन रहे है। जिले में जाकर पुलिस कप्तान बनने व जिलो में तैनात कप्तानों को नये जिले की चाहत फिलहाल चाहत ही बनी रह सकती है। इस बीच कई अफसर प्रमोशन की ओर तेजी से बढ रहे है। जिलों में तबादलों की संभावना इस आधार पर भी बनी थी की राजभवन में एडीसी वरिष्ठ आईपीएस असीम श्रीवास्तव के वीआरएस लेने व एसपीएस (स्टेट पुलिस सर्विस) के तीन अफसरों के आईपीएस में प्रमोशन के बाद आए नोटिफिकेशन के बाद एक सूची आ सकती है। इसमें पहाड के कुछ जिलों को लेकर चर्चायें व राजभवन में नये एडीसी को लेकर सुगबुगाहट जोरो पर थी। फिलहाल इस पर विराम ही लगता दिख रहा है। राजभवन में हलांकि जल्द ही नये एडीसी पुलिस पर निर्णय़ लिया जा सकता है। राजभवन में फिलहाल सारा काम काज एडीसी आर्मी ही देख रहे है। राजभवन सूत्रों की मानें तो राजभवन से एडीसी के बाबत पहले ही पत्र पुलिस महकमे को बहुत पहले ही भेजा जा चुका है। माना ये जा रहा है कि राजभवन में डायरेक्ट (आईपीसी) को ये जिम्मेदारी मिल सकती है। जानकारों की मानें तो दिसंबर में होने वाले अफसरों के रैंक प्रमोशन के समय ही जिले की तबादला लिस्ट बन सकती है। चर्चायें ये भी है कि मौजूदा समय में कोर्ट में दायर आईपीएस बरिंदर जीत सिंह की रिट को भी तबादले न होने के पीछे की वजह माना जा रहा है। अंत में हलांकि सरकार का निर्णय़ अंतिम होता है वो इच्छानुसार योग्यता के आधार पर जब चाहे जिसे जहाँ चाहे तैनाती दे।