कुलपति की योग्यता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित किये जाने की संवैधानिक व्यवस्था है जिसे उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में भी स्पष्ट कर चुका है, 10 वर्ष न्यूनतम प्रोफेसर के रूप में कार्यानुभव होना अनिवार्य योग्यता है।
डॉ सुनील जोशी ने पूर्व में प्रोफेसर पद भी गलत जानकारी देकर 2015 में हासिल की है और 2020 में त्रिवेंद्र रावत सरकार में कुलपति का पद भी सिर्फ 4 वर्ष प्रोफेसर कार्यानुभव पर बॉयोडाटा में गलत सूचना देकर हरिद्वार में ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में नौकरी करते हुए प्राप्त कर लिया था। वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका व इनके विरूद्ध भ्रष्टाचार पर संज्ञान लेकर जस्टिस के डी शाही को जांच अधिकारी नियुक्त कर 15 दिनों में रिपोर्ट देने को कहा है।