अंकिता हत्याकांड में महिला मंच ने एक बार फिर एसआईटी जांच पर सवाल उठाए हैं। मंच का कहना है कि मामले में अब तक वीआईपी का नाम सामने नहीं आया है। न ही रिजॉर्ट के कमरे को तोड़ने के लिए आदेश देने वालों पर कोई कार्रवाई हुई है।
मंच की ओर से 30 महिलाओं ने इस मामले में 78 पन्नों की तथ्य अन्वेषण (फैक्ट फाइंडिंग) रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट को उन्होंने बुधवार को पुलिस मुख्यालय में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और एसआईटी इंचार्ज डीआईजी पी रेणुका देवी को भी सौंपा है।
मंच की संयोजक कमला पंत ने बुधवार को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक से विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं की एक 30 सदस्यीय टीम बनाकर उन्होंने इस मामले में अपने स्तर से जांच की।
टीम ने 27 से 29 अक्तूबर को अंकिता भंडारी के गांव डोब श्रीकोट से लेकर घटनास्थल तक तमाम जगह का दौरा किया और परिजनों सहित कई लोगों से बातचीत की। रिपोर्ट में एसआईटी जांच पर सवाल उठाए। कमला पंत ने कहा कि रिजॉर्ट में बुलडोजर किसके कहने पर और क्यों चलाया गया, इस बारे में भी एसआईटी ने जांच में खुलासा नहीं किया है।
कार्यस्थलों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशाखा गाइडलाइन लागू किए जाने के निर्देशों के बावजूद उत्तराखंड में पर्यटन क्षेत्र में इसे लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मंच की ओर से जल्द ही सीबीआई जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। इस दौरान भारत ज्ञान विज्ञान समिति की उमा भट्ट, मल्लिका विर्दी, निर्मला बिष्ट मौजूद रहीं।