कार्यालयों के वित्त अधिकारी या वित्त नियंत्रक की भी जवाबदेही तय की गई है। उनके कार्यालयों में गलत वेतन निर्धारण से अधिक धनराशि कोषागार से निकाले जाने पर वे भी समान रूप से उत्तरदायी होंगे।
उत्तराखंड सरकार के सभी कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की जांच होगी। वित्त विभाग ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए सभी विभागों के आहरण-वितरण अधिकारियों (डीडीओ) को तीन महीने के भीतर वेतन निर्धारण की जांच के निर्देश दिए हैं। जिन कर्मचारियों को नियमों के विपरीत अधिक वेतन-भत्तों का भुगतान हुआ है, उनसे धनराशि की वसूली होगी। पदोन्नति और वेतन बढ़ोतरी के समय वेतन निर्धारण की जांच अनिवार्य रूप से होगी।
साथ ही भविष्य में शासनादेशों की व्यवस्था से अधिक वेतन, समयान वेतनमान या वित्तीय बढ़़ोतरी की स्वीकृति देने की व्यक्तिगत जवाबदेही अब विभागाध्यक्ष व कार्यालय अध्यक्ष की होगी। ऐसे प्रकरणों में गलत निर्धारण से अधिक भुगतान पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों व प्रभारी सचिवों को पत्र जारी कर अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया है।