प्रदेश में नर्स के 2621 पदों पर गतिमान भर्ती प्रक्रिया को दलाल हाईजैक करने की तैयारी में हैं। दो युवतियों की बातचीत में नर्स की नौकरी दिलाने के नाम पर साढ़े तीन करोड़ के सौदे की बात सामने आ रही है। हालांकि अभी तक ऑडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी है। ऑडियो के वायरल होने के बाद आवेदक अवाक हैं।
नर्स भर्ती प्रक्रिया विज्ञप्ति की शुरुआत से ही विवादों में रही है। दिसंबर के बाद अप्रैल में दोबारा विज्ञप्ति जारी की गई। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित परीक्षा में आठ सौ रुपये आवेदन शुल्क रखा गया। दस हजार उम्मीदवारों ने भर्ती के लिए आवेदन किया। 28 मई को तय परीक्षा को सरकार ने एक दिन पहले कोरोना संक्रमण का तर्क देकर स्थगित कर दिया। फिर उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने 15 जून को लिखित परीक्षा निर्धारित की थी। 15 जून को फिर परीक्षा को बिना कारण बताए स्थगित किया गया। इससे आवेदकों को काफी दिक्कत हुई।
परीक्षा के लिए पंजीकृत उम्मीदवारों में देहरादून और नैनीताल के सबसे अधिक हैं। देहरादून के 2673 और नैनीताल के 1222 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। दोनों युवतियों के बीच हुई बातचीत से लग रहा है कि हर आवेदक से एक लाख रुपये की मांग की गई और यह रकम साढ़े तीन करोड़ हो रही है। इस हिसाब से 350 लोगों से पैसों को लेकर बातचीत हुई है। अमर उजाला इस ऑडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। पर अगर ऐसा हो रहा है तो यह बेहद गलत है और योग्य आवेदकों के साथ अन्याय है। सरकार को इस बारे में पड़ताल करानी चाहिए।
विरोध के चलते हुआ था संशोधन
प्रदेश में पहली बार उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद को स्टाफ नर्सों की भर्ती करने की जिम्मेदारी दी गई है। 12 दिसंबर को परिषद ने स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव के आधार पर 1238 पदों की विज्ञप्ति जारी की थी। 11 जनवरी आवेदन की अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी। नर्सिंग सेवा नियमावली के अनुसार स्टाफ नर्सों के लिए 30 बेड के अस्पताल से एक साल का अनुभव की शर्त होने से हजारों अभ्यर्थी आवेदन करने से वंचित थे। इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अनुभव की शर्त हटाने के लिए विभाग को नियमावली में संशोधन करने के आदेश दिए थे। इसके बाद नई विज्ञप्ति जारी हुई। इसके बावजूद विभागों में संविदा पर कार्यरत नर्सों ने मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
करीब 600 नर्सें कुमाऊं में संविदा पर कार्यरत
कुमाऊं के विभिन्न सरकारी अस्पतालों और अन्य जगह पर करीब 600 नर्सें कार्यरत हैं। अधिकतर नर्सें एनएचएम, उपनल और विभागीय संविदा के तहत कार्यरत हैं। बातचीत में एक नर्स ने बताया कि उन्हें सीधी भर्ती में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। सरकार अनुभव के आधार पर वरीयता की व्यवस्था करे, जिससे सालों से सेवा कर रहीं नर्सें को उनका हक मिल सके