देहरादून हर छोटे बडे मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरने में विपक्ष विशेष तौर पर कांग्रेस हरिदार से जुडे किसी भी मामले को नही उठा पा रही है। कभी राजनीति के केंद्र बिंदु में होने वाले हरिदार जिले को लेकर कांग्रेस के तरकश में तीर नही है। खनन कानून व्यवस्था जैसे अहम मसले पर कांग्रेस के पास ऐसा कुछ भी नही है जिसकी वो ढाल बनाकर राज्य सरकार पर हमलावर हो सके। बीते दिनों कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस के ब़डे नेताओं की प्रेस कांफ्रेंस में खनन के मसले पर देहरादून रामनगर हल्दानी पर सरकार को घेरा गया ज्बकि हरिदार जिले को लेकर कांग्रेस नेताओ ने कोई टिप्पणी नही की। कांग्रेस के ब़डे नेता आफ द रिकार्ड स्वीकार करते है कि हरिदार जिले में विशेषकर खनन संबंधी पहले जैसी स्थिति नही है लिहाजा आरोप बेबुनियाद नही लगाए जाने चाहिये। सूत्रों की मानें तो शासन से लेकर सीएम आफिस में हरिदार जिले में अवैध खनन अथवा खनन संबंधी किसी गतिविधि की कोई शिकायत भी नही है।
हरिदार जिले में कानून व्यवस्था दोनो ही मसलों पर राज्य सरकार बेहतर व राजनैतिक रूप से कंफर्ट पोजिशन में दिखती है। हरिदार जिले में कानून व्यवस्था के क्रम में ही अपराध जैसे हत्या लूट गिरोहबंद अपराध की घटनायें अक्सर चुनौतीपूर्ण रही है। हरिदार जिला प्रदेश के अन्य जिलों से राजनैतिक भौगोलिक रूप से बेहद भिन्न होने के साथ साथ उत्तरप्रदेश की सीमा से सटा होने के साथ साथ संवेदनशील भी है। धामी राज में हरिदार जिले में खनन माफिया भू माफियाओं पर अंकुश लगा है ज्बकि कोविड के बाद बीते कई वर्षों की ऐतहासिक कांवड यात्रा निर्विध्न्न संपन्न हुई है। जानकार बताते है कि जिले में बेहतर कानून व्यवस्था का लाभ सरकार को पंचायत चुनाव के परिणाम के रूप में दिखा कि जो भाजपा कभी भी पंचायत चुनावो में सत्तारूढ नही रहती थी आज बहुमत के बोर्ड पर आसीन है। ये बात दीगर है कि कांग्रेस नेताओ ने पंचायत चुनाव में मनमानी के आरोप लगाते हुये हंगामा तो किया लेकिन इसकी किसी भी स्तर से कोई पुष्टि नही हो सकी है। हरिदार जिला मौजूदा समय में लोक सेवा आय़ोग में पेपर लीक जैसे मामलो को लेकर भी खासा संवेदनशील है लेकिन कानूून व्यवस्था किसी भी प्रकार से प्रभावित नही हो सकी है। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय व एसएसपी अजय सिंह के मध्य एक बेहतर समन्वय भी इसकी वजह है।